डोकलाम विवाद की वजह से दुनिया भर में किरकिरी के बाद चीन ने अब नई चाल चली है, चीन अपनी नई रणनीति के तहत नेपाल को मोहरे की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश में है, और नेपाल में अपना निवेश बढ़ाता जा रहा है। हालात ये है कि अब चीन नेपाल में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है डोकलाम विवाद को लेकर भारत-चीन के बीच जारी तनातनी में ड्रैगन अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से पूरी दुनिया में एक्पोज हो चुका है, ऐसे में चीन ने नया पैंतरा खेला है, चीन अब भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरे की तरह इस्तेमाल करना चाहता है और इसके लिए चीन ने नेपाल में निवेश के लिए अपने खजाने खोल दिए हैं। (पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के मीडिया सलाहकार का 77 वर्ष की आयु में निधन)
चीन की कंपनियां नेपाल में 22 अरब डॉलर का व्यापार कर रही है, नेपाल में फिलहाल 341 बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, इनमें 125 प्रोजेक्ट चीन के पास हैसाल 2017 में अबतक 15 अरब नेपाली रुपयों का विदेशी निवेश हुआ है। इसमें से आधे से अधिक यानी 8.35 अरब नेपाली रुपए का निवेश अकेले चीन ने किया है। चीन ने नेपाल को 8.2 अरब डॉलर की मदद का भी वादा किया है। हाल में नेपाल के इनवेस्टमेंट समिट में चीन सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है।
नेपाल में चीन सबसे बड़ा निवेशक
-चीनी कंपनियां का नेपाल में 22 अरब डॉलर का बिजनेस
-नेपाल के 341 बड़े प्रोजेक्ट्स में 125 प्रोजेक्ट चीन के पास
-2017 में अबतक 15 अरब नेपाली रुपयों का विदेशी निवेश
-8.35 अरब नेपाली रुपए का निवेश अकेले चीन ने किया
-चीन ने नेपाल को 8.2 अरब डॉलर की मदद का भी वादा किया
-हाल में नेपाल के इनवेस्टमेंट समिट में चीन सबसे बड़ा निवेशक
दरअसल चीन की चाल ये है कि ड्रैगन न सिर्फ भारत को आर्थिक झटका देने चाहता है, बल्कि नेपाल को भी मजबूत करना चाहता है, ताकि समय आने पर वो नेपाल का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सके। असल में जिसतरह से डोकलाम में भारत-चीन और भूटान की सीमा मिलती है। ठीक उसी तरह वेस्ट नेपाल में धारचुला की स्थिति एकदम डोकलाम जैसी है। धारचूला नेपाल, चीन और भारत के ट्राइजंक्शन के बीच आता है। 1950 में तिब्बत पर चीन के कब्जा करने से पहले तिब्बत-नेपाल-भारत के बीच व्यापारिक रास्ते के लिहाज से धारजुला को एक मुख्य शहर माना जाता था। अब आपको बताते हैं आखिर चीन को नेपाल जैसे छोटे देश की जरुरत क्यों पड़ी। डोकलाम विवाद के भारत ने ऐसी कूटनीटिक चाल चली कि चीन पूरी दुनिया में बेनकाब हो गया है।
अमेरिका के बाद जापान ने डोकलाम विवाद पर भारत का सर्मथन किया है। भारत में जापान के राजदूत केंजी हीरामात्सू ने कहा है कि विवादित इलाके में यथास्थिति होनी चाहिए और बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। डोकलाम विवाद पर भारत की इस कूटनीतिक विजय से चीन बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। हालांकि, उसे भी पता है कि उसकी नीतियों की वजह से दुनिया भर में उसके दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा हैं।
अब चीन अपनी नीतियां तो बदल नहीं सकता। लिहाजा वो लगातार ऐसी कोशिशों में है। जिससे उटपटांग बयानों के जरिए भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों को उकसाने का काम करता रहता है। हालांकि, भारत ने बिना लड़े ही चीन को एक ऐसी शिकस्त दे दी है, जिससे वो बौखलाया हुआ है।