Monday, December 23, 2024
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भारत पर मंडराया रहस्यमयी चीनी ड्रोन का खतरा, चील-कबूतर की तरह दिखता है ड्रैगन का ड्रोन

ये असली पक्षी की तरह ही हवा में उड़ता है, गोता लगा सकता है और पंख भी फड़फड़ा सकता है। ये तस्वीरें ले सकता है, हाई डिफनेशन वीडियो बना सकता है और आसपास की आवाजों को रिकार्ड कर सकता है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 29, 2018 10:42 IST
भारत पर मंडराया रहस्यमयी चीनी ड्रोन का खतरा, चील-कबूतर की तरह दिखता है ड्रैगन का ड्रोन
भारत पर मंडराया रहस्यमयी चीनी ड्रोन का खतरा, चील-कबूतर की तरह दिखता है ड्रैगन का ड्रोन

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक खबर वायरल हो रही है जिसमें बताया जा रहा है कि चीन भारत की जासूसी एक अजीबोगरीब ड्रोन से कर रहा है। ये ड्रोन आम पक्षी की तरह दिखता है जो पक्षियों के झुंड में शामिल होकर भारत आता है और अलग अलग इलाके में फैल जाता है। पक्षियों की तरह दिखने वाला ड्रोन कई रंग और कई पक्षियों की तरह है। कोई चील की तरह दिखता है तो कोई कबूतर की तरह। मतलब ये कि इसे किसी भी पक्षी का रूप दिया जा सकता है। ये एक अल्ट्रा मार्डन ड्रोन है जिसका इस्तेमाल दुश्मन के इलाकों पर निगरानी रखने के लिए कर रहा है।

 
ये असली पक्षी की तरह ही हवा में उड़ता है, गोता लगा सकता है और पंख भी फड़फड़ा सकता है। ये तस्वीरें ले सकता है, हाई डिफनेशन वीडियो बना सकता है और आसपास की आवाजों को रिकार्ड कर सकता है। इतना ही नहीं ये लगातार वीडियो और ओडियो को चीन की खुफिया एंजेंसी को भेजने में सक्षम है। सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस ड्रोन को दुनिया का कोई भी रडार पकड़ नहीं सकता है। आंखो के सामने से गुजर जाए तो भी इस पर किसी को शक नहीं होगा।

सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि इसके जरिए चीन न सिर्फ बार्डर पर निगरानी रखता है बल्कि देश के कई शहरों और ठिकानों की जासूसी कर रहा है। दरअसल, चीन से हर साल लाखों की संख्या में माइग्रेटरी बर्ड्स हिंदुस्तान आती हैं। ये पक्षियां झुंड बनाकर हिमालय को पार करते हुए हिंदुस्तान के अलग अलग इलाकों में फैल जाती हैं। बताया जा रहा है कि पक्षियों के इन्हीं झुंड के साथ चीन अपने ड्रोन को भेज रहा है। दावा ये भी है कि इस खुलासे के बाद से हिंदुस्तान की खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ गई है और इस खतरे से निपटने के लिए स्ट्रेटेजी बनाई जा रही है।

जासूसी के लिए पक्षियों का इस्तेमाल के बारे में तो सुना गया है लेकिन पक्षियों की तरह दिखने वाले ड्रोन से जासूसी करने का मामला बिल्कुल ही नया और अनोखा है। यही वजह है कि ये खबर सोशल मीडिया में वायरल है। वायरल खबर में अगर जरा भी सच्चाई है तो यकीन मानिए कि भारत पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ये बात सही है कि हर साल लाखों की संख्या में चीन की साइड से भारत में माइग्रेटरी बर्ड्स आते हैं जो हिंदुस्तान के कई शहरों और इलाकों में करीब पांच महीने तक रहते हैं। अगर इन पक्षियों के बीच चीनी ड्रोन है तो मतलब ये कि चीन के पास वो सारी सूचनाएं पहुंच सकती है जो देश के लिए खतरा साबित हो सकता है। इंडिया टीवी ने जब इस खबर को खंगालना शुरु किया तो पता चला कि चीन पक्षियों की तरह दिखने वाला ड्रोन तैयार कर चुका है।

इंडिया टीवी को ये भी पता चला कि चीन ने इस ड्रोन का कोड नेम डव रखा है जिसका मतलब होता है कबूतर। चीन की सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर करीब 1.54 अरब डॉलर यानी करीब 105 अरब रुपये का खर्च किया है। चीन ने इस ड्रोन को इस्तेमाल करने से पहले करीब 2000 बार इसका टेस्ट किया। पक्षियों की तरह दिखने वाला ड्रोन आसमान में उड़ता एक अल्ट्रा मार्डन मशीन है जिसमें HD कैमरा, जीपीएस ऐंटेना, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम लगा है। तहकीकात में ये भी पता चला है कि चीन इस ड्रोन का इस्तेमाल शिनजियांग के इलाके में कर रहा है।

चीन का ये प्रांत मुस्लिम बहुल आबादी वाला है और पेइचिंग इसे आतंक का गढ़ मानता आया है। यही कारण है कि चीन की सरकार इस इलाके पर कड़ी नजर रखती है और यहां के लोगों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए इस ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन सवाल ये है कि क्या ये भारत के अंदरूनी इलाके में घुस कर जासूसी कर सकता है या नहीं। तहकीकात में ये भी पता चला कि पक्षियों की तरह दिखने वाला ड्रोन चालीस किलोमीटर की स्पीड से उड़ सकता है लेकिन वो एक बार में सिर्फ तीस मिनट तक ही उड सकता है।

दूसरी समस्या ये है कि इसे ज्यादा से ज्यादा आठ किलोमीटर तक की दूरी तक ही कंट्रोल किया जा सकता है। यानि ये ड्रोन लंबी दूरी तक न तो उड़ सकता है और न ही वहां से वीडियो और ऑडियो भेज सकता है। समझने वाली बात ये है कि चीन का पक्षी की तरह दिखने वाला ड्रोन अनोखा जरूर है लेकिन इसके इस्तेमाल की सीमाएं हैं। जहां तक बात अत्याधुनिक ड्रोन की है तो अमेरिका और इजराइल के पास चीन से बेहतर तकनीक है जिसका इस्तेमाल आर्मी और जासूसी के लिए कई सालों से हो रहा है।

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