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नेपाल में भारत का विरोध करवाने के लिए चीन कर रहा है 'गंदा' काम

चीन के हिमालय राष्ट्र पर अपना प्रभाव बढ़ाने के बाद भारत-नेपाल संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। हाल ही में भारत द्वारा लिपुलेख में 17000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई थी।

Written by: IANS
Updated on: September 03, 2020 16:52 IST
China funding protest against India in Nepal । नेपाल में भारत का विरोध करवाने के लिए चीन कर रहा है घ- India TV Hindi
Image Source : AP (FILE) नेपाल सीमा पर भारत विरोधी प्रदर्शन को फंडिंग कर रहा चीन

नई दिल्ली. चीन ने भारत-नेपाल सीमा पर भारत के खिलाफ प्रदर्शनों को अंजाम देने के लिए नेपाल स्थित विभिन्न संगठनों को 2.5 करोड़ रुपये (नेपाली मुद्रा में) का भुगतान किया है। भारत और नेपाल 1,700 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करते हैं। एजेंसियों ने कहा, "नेपाल में चीनी दूतावास ने भारत-नेपाल सीमा क्षेत्रों में भारत विरोधी प्रदर्शनों के आयोजन के लिए 2.5 करोड़ रुपये (एनपीआर) की वित्तीय सहायता प्रदान की है, जो नेपाल के आंतरिक और राजनीतिक मामलों में भारत के हालिया सीमा विवादों और हस्तक्षेपों को उजागर करता है।" एनपीआर नेपाली रुपया है।

चीन के हिमालय राष्ट्र पर अपना प्रभाव बढ़ाने के बाद भारत-नेपाल संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। हाल ही में भारत द्वारा लिपुलेख में 17000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। यही नहीं नेपाल ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार भी जताया था। लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच एक त्रि-जंक्शन है, जो उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है।

इस सड़क निर्माण का उद्देश्य कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करना है। इसके अलावा नेपाल ने अपना एक नया राजनीतिक नक्शा निकालकर विवाद को जन्म दे दिया है, क्योंकि इस नक्शे में उसने कुछ भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का क्षेत्र बताया है।

भारत ने नए नक्शे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं है। नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपना बताया है, जो कि हमेशा से भारतीय क्षेत्र रहे हैं। इसके साथ ही नेपाल ने भारत-नेपाल सीमा के पास अपनी तैनाती में भी इजाफा किया है। नेपाल ने 1,751 किलोमीटर की सीमा के साथ सीमा चौकियों (बीओपी) की संख्या को 120 से बढ़ाकर 500 करने की भी योजना बनाई है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों को एक अवसर के रूप में लेते हुए, चीन, जो पहले से ही लद्दाख में भारत के साथ सीमा विवाद कर रहा है, उसने भी लिपुलेख के पास अपनी सेना की तैनाती बढ़ा दी है।"

चीन ने 150 लाइट कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती की है और इसे अगस्त में लिपुलेख त्रि-जंक्शन में तैनात किया गया है। चीन ने भारतीय सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर, पाला में भी सैनिक बलों को मजबूत किया है। जुलाई में ही, पाला के पास लगभग 1,000 सैनिक तैनात किए गए थे और चीन द्वारा एक स्थायी चौकी बनाई गई थी। अगस्त में, पोस्ट पर 2,000 और अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया।

भारत ने भी अपने सशस्त्र बलों को लिपुलेख त्रि-जंक्शन पर तैनाती बढ़ाने का निर्देश दिया है। भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा की रक्षा करने वाले सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने नेपाल के साथ सीमा पर 30 कंपनियों की तैनाती बढ़ा दी है। सूत्रों ने कहा कि भारत ने भारत-नेपाल सीमा के साथ ही उत्तराखंड और सिक्किम में त्रि-जंक्शन क्षेत्रों पर अधिक सतर्कता बरतते हुए, इनमें से कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त टुकड़ियां भेजी हैं।

नेपाल सरकार ने भी भारत और चीन सीमा तनाव के बीच लिपुलेख क्षेत्र में भारतीय सेना की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी करने के लिए अपनी सेनाओं को निर्देशित किया है। भारत और चीन के बीच मई महीने से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कई बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है। चीन ने विभिन्न स्थानों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और वह चीन के साथ सभी स्तरों पर इस मामले को उठा रहा है।

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