न्योमा (लद्दाख). पिछले साल गलवान में भारतीय सेना ने चीनी पीएलए को सबक सिखाया था। तब से अबतक 'ड्रैगन' एकबार फिर मुड़कर LAC के इस तरफ देखने से परहेज कर रहा है। हालांकि 'ड्रैगन' के गंदे मंसूबे से भारत की फौज पूरी तरह से वाकिफ है, इसलिए सेना हर समय चीनी पीएलए को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी है। आसमान में जहां भारतीय वायुसेना हर टाइम हाई अलर्ट पर है तो वहीं लद्दाख के पहाड़ों में भारतीय सेना अपने टैंकों और मॉडर्न मशीन के साथ हर वक्त एक्टिव नजर आती है। इसी वजह से चीन न बेचैन है बल्कि घबराया हुआ भी है।
लद्दाख में टैंकों को तैनात किए हुए भारतीय सेना को एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है और इस दौरान भारतीय सेना की बख़्तरबंद रेजीमेंटों ने इस क्षेत्र में 14,000 फीट से 17,000 फीट तक की ऊंचाई पर अपनी मशीनों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रियाओं को विकसित किया है।
भारतीय सेना ने पिछले साल 'ऑपरेशन स्नो लेपर्ड' की शुरुआत के साथ रेगिस्तान और मैदानी इलाकों से बड़े पैमाने पर टी-90 भीष्म (T-90 Bhishma) और टी-72 अजय टैंकों (T-72 Ajay tanks) के साथ-साथ BMP सीरीज इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स को लद्दाख के ऊंचाई वाले स्थानों पर लाना शुरू किया। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "हम पूर्वी लद्दाख में इन ऊंचाइयों पर -45 डिग्री तक तापमान का अनुभव करते हुए एक साल पहले ही बिता चुके हैं। हमने इन तापमानों और कठोर इलाकों में टैंकों को संचालित करने के लिए अपने एसओपी विकसित किए हैं।"
आपको बता दें कि पैंगोंग झील (Pangong lake) और गोगरा ऊंचाई (Gogra heights) जैसे दोनों सेनाओं के सहमति से हटने के बावजूद, दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को बनाए रखना जारी रखा है। भारतीय सेना ने भी इन क्षेत्रों में टैंकों और इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ अपने अभियानों को मजबूत करना जारी रखा है ताकि इन ऊंचाइयों पर किसी भी खतरे या चुनौती से निपटा जा सके। न्यूज एजेंसी ANI ने ऐसी ही एक टैंक रेजिमेंट को चीन सीमा से मुश्किल से 40 किलोमीटर दूर एक स्थान पर ऊंचाई वाले क्षेत्र में टैंक युद्धाभ्यास करते हुए देखा।
भारतीय सेना के अधिकारी ने बताया कि अब इन टैंकों के रखरखाव पर जोर दिया जा रहा है क्योंकि अत्यधिक सर्दियां रबर और अन्य भागों पर प्रभाव डाल सकती हैं। अगर हम इन टैंकों को अच्छी तरह से बनाए रख सकते हैं, तो हम इन्हें यहां बहुत लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में फिंगर क्षेत्र और गलवान घाटी जैसे स्थानों पर चीन के आक्रामक रूप को देखने के बाद भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में सैनिकों और मशीनों को यहां तैनात करना शुरू किया था। पिछले साल गलवान में हिंसा के अलावा पैंगोंगे झील के उत्तरी इलाके में भी तनाव उस समय बहुत ज्यादा बढ़ गया था जब दोनों से तरफ से हवा में गोलियां चलाई गईं और भारतीय फौज ने चीन की नाक के ठीक नीचे से महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर कब्जा कर लिया।