नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा उच्च न्यायालयों के चार मुख्य न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश किए जाने के 48 घंटे के भीतर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा चारों नामों को मंजूरी दे दिए जाने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने हैरानी जताई है। सीजेआई की अध्यक्षता और शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की सदस्यता वाले कोलेजियम ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए 30 अक्टूबर को चार न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश केंद्र से की थी। इन चारों न्यायाधीशों को शुक्रवार को पद की शपथ दिलाई गई।
उच्चतम न्यायालय की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों से शुक्रवार को एक अनौपचारिक बातचीत में सीजेआई ने कहा, ‘‘हमने बुधवार को सुबह 11 बजे सिफारिश भेजी और बुधवार की शाम मुझे बताया गया कि मेडिकल (न्यायाधीशों की तरक्की के लिए होने वाली जांच) हो चुका है। इस पर मैं खुद बहुत हैरान था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था। मैंने पूछा कि यह आप क्या कह रहे हैं। मैं भी आपके जितना ही हैरान हूं।’’
एक वरिष्ठ पत्रकार ने जब न्यायमूर्ति गोगोई से कहा कि आपने तो इतिहास कायम कर दिया, क्योंकि आप सीजेआई बनने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र के पहले व्यक्ति हैं और 48 घंटे के भीतर न्यायाधीशों के नाम पर केंद्र की मंजूरी भी हासिल कर ली, इस पर सीजेआई ने कहा कि इस बारे में जवाब देने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री ही सही शख्स होंगे। गुरूवार को शीर्ष अदालत के एक आंतरिक थिंक-टैंक ‘सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग’ का उद्घाटन करने वाले न्यायमूर्ति गोगोई ने एक अहम ऐलान किया कि यदि वादियों-प्रतिवादियों को अंग्रेजी समझने में दिक्कत है तो उच्चतम न्यायालय उन्हें अपने फैसलों की प्रतियां उनकी मातृभाषा में मुहैया करा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में हम इसे हिंदी में कर सकते हैं।’’ पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीजेआई के साथ न्यायालय के चौथे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश और उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े भी थे। न्यायमूर्ति गोगोई ने यह सवाल खारिज कर दिया कि उन्हें कैसे यकीन है कि न्यायमूर्ति बोबड़े ही उनकी जगह लेंगे। सीजेआई ने कहा, ‘‘हां, बेशक। इस पर कोई संशय नहीं हो सकता।’’ न्यायमूर्ति गोगोई ने भविष्य में अलग-अलग संख्याबल वाली पीठों द्वारा मामलों का निपटारा करने को लेकर भी अपना विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि सोमवार और शुक्रवार को अदालत कई तरह के मामलों पर सुनवाई करती है और तीन न्यायाधीशों की कई पीठों की जरूरत नहीं है। इससे अदालतों की संख्या बढ़ेगी।
न्यायमूर्ति गोगोई ने हाल के उस विवाद को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश अकील कुरैशी को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया गया, क्योंकि केंद्र ने उस पद के लिए उनसे कनिष्ठ न्यायाधीश ए एस दवे के नाम को अधिसूचित कर दिया। न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी की तरक्की उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद पर हो जाने के कारण गुजरात उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पद खाली हो गया था।
सीजेआई ने कहा, ‘‘हम सब गलतियां करते हैं और खुद में सुधार लाते हैं। कुरैशी वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। इसमें कोई रहस्य नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि दूसरी अधिसूचना में गलती सुधार ली गई। अब न्यायमूर्ति कुरैशी 14 नवंबर तक गुजरात उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहेंगे। उन्हें 15 नवंबर से बंबई उच्च न्यायालय में कार्यभार संभालना है। उच्च न्यायालयों में करीब 40 न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिश का सम्मान केंद्र की ओर से नहीं किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘मैंने यह नहीं कहा कि सरकार ने इसका सम्मान नहीं किया। मैं यह नहीं कहूंगा कि इसका सम्मान नहीं किया गया। इसे लंबित रखा गया है। यह संख्या करीब 40 है। हो सकता है थोड़ा ज्यादा ही हो।’’