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छत्तीसगढ़: देश में पहली बार सरकार किसानों से खरीदेगी गाय का गोबर, शुरू होगी गाेधन न्याय योजना

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में गौ पालन को लाभप्रद बनाने, गोबर प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा के लिए 'गोधन न्याय योजना' शुरू करने का फैसला किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 26, 2020 7:31 IST
Godhan Nyay Yojana
Image Source : FILE Godhan Nyay Yojana

अब किसान गाय का दूध ही नहीं बल्कि गोबर भी बेच सकेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में गौ पालन को लाभप्रद बनाने, गोबर प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा के लिए 'गोधन न्याय योजना' शुरू करने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सरकार गोपालकों से गोबर खरीदेगी। इसका इस्तेमाल एक ओर जहां सड़क पर आवारा घूम रहे पशुओं को रोकने में होगा, वहीं गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। इसे बाद में किसानों, वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को दिया जाएगा। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बृहस्पतिवार को ऑनलाईन संवाददाता सम्मेल में बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में गौ-पालन को आर्थिक रूप से लाभदायी बनाने, खुले में चराई की रोकथाम, सड़कों और शहरों में आवारा घुमते पशुओं के प्रबंधन तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए गोधन न्याय योजना शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि योजना की शुरूआत राज्य में हरेली पर्व यानि 21 जुलाई के दिन से होगी। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जो गोबर की खरीद करेगा। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोबर प्रबंधन की दिशा में प्रयास करने वाली ये देश की पहली सरकार है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सरकार गोमूत्र खरीदने पर भी विचार कर सकती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बेहतर परिणाम होंगे। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रदेश जैविक खेती की तरफ आगे बढ़े। फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो। 

मंत्रिमंडल की उपसमिति तय करेगी गोबर का दाम

उन्होंने बताया कि पशुपालकों से गोबर क्रय करने के लिए दर निर्धारित की जाएगी। दर के निर्धारण के लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मंत्री मण्डलीय उप समिति गठित की गई है। उन्होंने बताया कि इस समिति में वन मंत्री मोहम्मद अकबर, सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल शामिल किए गए हैं। यह मंत्री मण्डलीय समिति राज्य में किसानों, पशुपालकों, गौ-शाला संचालकों और बुद्धिजीवियों के सुझावों के अनुसार आठ दिवस में गोबर क्रय का दर निर्धारित करेगी। उन्होंने बताया कि गोबर खरीदी से लेकर उसके वित्तीय प्रबंधन और वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से लेकर उसके विक्रय तक की प्रक्रिया के निर्धारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख सचिवों और सचिवों की एक कमेटी गठित की गई है। 

हरेली से होगी शुरुआत 

बघेल ने बताया कि राज्य में हरेली पर्व से पशुपालकों और किसानों से गोबर निर्धारित दर पर क्रय किए जाने की शुरूआत होगी। यह योजना राज्य में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी और इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसके माध्यम से गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों, पशुपालकों एवं बुद्धिजीवियों से राज्य में गोबर खरीदी के दर निर्धारण के संबंध में सुझाव देने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा कि इस योजना को पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार किया गया है। इससे अतिरिक्त आमदनी सृजित होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए पूरा एक सिस्टम काम करेगा। 

जैविक खेती को देंगे बढ़ावा 

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट के जरिए हम जैविक खेती की ओर बढेंगे। इसका बहुत बड़ा मार्केट उपलब्ध है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार होने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से होगी। राज्य में किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग को पौधरोपण एवं उद्यानिकी की खेती के समय बड़ी मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है। इसकी आपूर्ति इस योजना के माध्यम से उत्पादित खाद से हो सकेगी। बघेल ने कहा कि अतिरिक्त जैविक खाद की मार्केटिंग की व्यवस्था भी सरकार करेगी। 

आवारा प​शुओं का होगा प्रबंधन 

शहरों में आवारा घूमते पशुओं की रोकथाम, गोबर क्रय से लेकर इसके जरिए वर्मी खाद के उत्पादन तक की पूरी व्यवस्था नगरीय प्रशासन करेगा। उन्होंने बताया कि गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है। राज्य के 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है और 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले दो-तीन महीने में लगभग पांच हजार गांवों में गौठान बन जाएंगे। इन गौठानों को हम आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं। यहां बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण भी महिला स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से शुरू किया गया है। 

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