नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद कुमार सहित विभिन्न लोगों ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया। लोगों ने लोकसभा चुनाव से पहले इसे दाखिल किए जाने को लेकर भी सवाल उठाया। कुमार ने कहा कि ‘‘आरोपपत्र राजनीति से प्रेरित है। हालांकि, हम चाहते हैं कि आरोप तय किए जाएं और इस मामले में त्वरित सुनवाई हो ताकि सच्चाई सामने आ सके। हम उन वीडियोज को भी देखना चाहते हैं जो पुलिस द्वारा सबूत के तौर पर रखे गए हैं।’’
दिल्ली पुलिस ने JNU परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया है। वो कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू की फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था।
खालिद ने बेंगलुरू में सेंट जोसेफ कॉलेज में छात्रों के एक समूह को ‘‘संविधान की रक्षा में युवकों की भूमिका’’ विषय पर संबोधित किया। खालिद ने कहा, ‘‘हम आरोपों को खारिज करते हैं। कथित घटना के तीन साल बाद आरोपपत्र दाखिल करने का कदम चुनावों के ठीक पहले ध्यान भटकाने का एक प्रयास है।’’ इस मामले में अन्य आरोपियों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत शामिल हैं।
शहला राशिद ने कहा, ‘‘ये पूरी तरह से एक फर्जी मामला है जिसमें अंतत: हर कोई बरी हो जाएगा। चुनावों के ठीक पहले आरोपपत्र दाखिल किया जाना दर्शाता है कि किस प्रकार भाजपा इससे चुनावी फायदा उठानी चाहती है। मैं घटना के दिन परिसर में भी नहीं थी।’’ वहीं दूसरी ओर भाकपा नेता राजा ने कहा, ‘‘ये राजनीति से प्रेरित है। तीन साल बाद दिल्ली पुलिस इस मामले में आरोपपत्र दाखिल कर रही है। हम इसे अदालत में और अदालत के बाहर राजनीतिक रूप से लड़ेंगे।’’