नई दिल्ली: आजादी के बाद देश की सबसे बड़ी समस्या थी अनाज के उत्पादन की ताकि देश की बड़ी आबादी को भोजन मिल सके। हरित क्रांति के बाद हालात बदले लेकिन आज भी देश में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिन्हें भर पेट खाना नहीं मिल पाता। इस समय देश में करीब 12 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं इनमें से लाखों बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं। कई बार इन बच्चों को भूखे पेट ही स्कूल आना पड़ता है ऐसे बच्चों की मदद के लिए एक एनजीओ ने पहल की है। ये एनजीओ ISCKON से जुड़ा है, नाम है अक्षय पात्र फाउंडेशन।
ये फाउंडेशन देश भर के 15 लाख बच्चों को हर रोज दोपहर का खाना खिलाती है, ये खाना मुफ्त होता है। सबसे बड़ी बात ये है कि इनका खाना अच्छी क्वालिटी का और बेहद हाईजीनिक होता है। इनके खाने से इंप्रेस हो कर कुछ राज्यों की सरकारों ने इन्हें स्कूलों में मिड डे मील प्रोवाइड करने की जिम्मेदारी भी दे दी है। यहां सुबह चार बजे से 250 से ज्यादा कर्मचारी खाना बनाने में जुटते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि यहां फूड आइटम्स को धोने, काटने और खाना पकाने तक के लिए बड़ी बड़ी ऑटोमैटिक मशीनों लगी हैं। रॉ मटीरियल को धोने के लिए RO पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
किचन में जाने के लिए कर्मचारियों को हाथ में ग्लब्स, चेहरे पर मास्क, सिर के लिए स्पेशल कैप और पांव में स्पेशल बूट पहनना जरूरी होता है। पैकिंग के वक्त भी इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि उसे हाथ से छुआ न जाए यानि यहां किसी तरह से कंटैमिनेशन का खतरा नहीं रहता है। यहां से खाना अक्षयपात्र की गाड़ियों में रख कर अलग-अलग स्कूलों के लिए भेजा जाता है।
अक्षयपात्र फाउंडेशन की शुरुआत 1997 में हुई थी। शुरुआत 5000 स्कूली बच्चों को खाना खिलाने से हुई और आज देश के पंद्रह लाख बच्चों को अक्षयपात्र फाउंडेशन अच्छी क्वालिटी का खाना खिलाता है। अक्षयपात्र फाउंडेशन के चेयरमैन एम. पी. दास ने बताया कि उनके संस्था की तारीफ अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन तक कर चुके हैं।