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CISCE की 10वीं, 12 वीं परीक्षा में बदलाव, 33 और 35 प्रतिशत अंक लाने होंगे जरूरी

काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट (CISCE) ने 10वीं और 12वीं कक्षा में विभिन्न विषय के उत्तीर्णांक में बदलाव किया है और अब दसवीं कक्षा में पास होने के लिये छात्रों को न्यूनतम 33 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में पास होने के लिये 35 प्रतिशत अंक लाने होंग

Edited by: India TV News Desk
Published : November 28, 2017 14:08 IST
Changes in the 10th, 12th exam of CISCE
Changes in the 10th, 12th exam of CISCE

नई दिल्ली: काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट (CISCE) ने 10वीं और 12वीं कक्षा में विभिन्न विषय के उत्तीर्णांक में बदलाव किया है और अब दसवीं कक्षा में पास होने के लिये छात्रों को न्यूनतम 33 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में पास होने के लिये 35 प्रतिशत अंक लाने होंगे। सीआईएससीई के मुख्य कार्यकारी और सचिव गैरी अराथून ने बताया, ‘‘ यह बदलाव देश में अन्य बोर्ड के अनुरूप परीक्षा की व्यवस्था बनाने और एकरूपता लाने के मकसद से किया गया है। ’’ उन्होंने कहा कि यह बदलाव अगले सत्र 2018-19 से लागू होंगे। सीआईएससीई बोर्ड ने यह बदलाव पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ हुई बैठक के बाद किया है। नए बदलाव के तहत अब दसवीं और बारहवीं की परीक्षा देने वाले छात्रों को बोर्ड में पास होने के लिए प्रत्येक विषय में 33 और 35 फीसदी अंक लाने होंगे । पहले उन्हें 35 और 40 फीसदी अंक लाना होता था। (हर राम भक्त की इच्छा ‘राम टाट में नहीं ठाठ में रहें’: मौर्य)

बोर्ड ने इस संदर्भ में सभी संबद्ध स्कूलों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है कि स्कूलों को सुझाव दिया जाता है कि 9वीं और 11वीं कक्षा के विषयों में भी 33 और 35 फीसदी उत्तीर्णांक की व्यवस्था को लागू करें। यह बदलाव मंत्रालय के उस सुझाव को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिसके तहत देशभर के सभी बोर्ड के उत्तीर्णांक में एकरूपता रखने को कहा गया। बोर्ड ने सभी स्कूलों को आंतरिक परीक्षाओं में भी यह बदलाव लागू करने को कहा है।

बोर्ड की अधिसूचना में कहा गया है कि परिषद ने अन्य परीक्षा बोर्डो के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ बैठक में हिस्सा लिया जिसमें उसे अंतर बोर्ड कार्यकारी समूह (आईबीडब्ल्यूजी) का सदस्य बनाया गया। इस समूह का गठन परीक्षा संबंधी विभिन्न विषयों पर चर्चा करने और इसके अनुरूप सुझाव देने के लिये किया गया है। आईबीडब्ल्यूजी ने इस संबंध में कुछ सिफारिशें की और इसी के अनुरूप यह तय किया गया कि भारत में सभी बोर्ड में एक समान उत्तीर्णंक होना चाहिए।

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