श्रीहरिकोटा: भारत ने सोमवार तड़के होने वाले चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को तकनीकी खामी की वजह से टाल दिया। इसके लिए अब नई तारीख की घोषणा की जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट किया, ‘प्रक्षेपण यान प्रणाली में टी-56 मिनट पर तकनीकी खामी दिखी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज के लिए टाल दिया गया है। नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।’ सूत्रों के मुताबिक, यह तकनीकी खराबी ईंधन में रिसाव थी जिसके चलते लॉन्चिंग को रोकना पड़ा।
इंजन में ईंधन के रिसाव के चलते रुकी लॉन्चिंग!
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, क्रायोजेनिक इंजन में तरल ईंधन के रिसाव के चलते चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को रोकना पड़ा, और अब अगले महीने ही लॉन्चिंग संभव हो पाएगी। क्रायोजेनिक इंजन के तरल ईंधन में रिसाव का पता चलने के बाद मिशन को टालने का फैसला लिया गया। सूत्रों ने बताया कि यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है और कई बार इस रिसाव का पता नहीं चल पाता। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यदि तरल ईंधन के रिसाव के साथ ही रॉकेट का प्रक्षेपण होता तो यह प्रक्षेपण विफल हो सकता था, और यदि सफल भी हो जाता तो चंद्रयान 2 को जिस कक्षा में पहुंचाना था, वहां पहुंचाना मुमकिन नहीं होता। हालांकि अभी तक ISRO की तरफ से आधिकारिक तौर पर लॉन्चिंग रोके जाने के कारण के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया गया है।
क्या होता है क्रायोजनिक इंजन?
क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट के मोटर्स होते हैं जिनमें तरल ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। जमीन पर रॉकेट में भरे जाने वाले ठोस और तरल प्रणोदकों की तुलना में क्रायोजेनिक चरण तकनीकी रूप से काफी जटिल होता है। इसमें इंजन को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह तापमान को कम से कम रख सके, नहीं तो सामान्य तापमान पर तरल ईंधन गैस में बदल सकती है। आमतौर पर क्रायोजेनिक स्टेज में लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का प्रयोग होता है। ऑक्सीजन को तरल रूप में रखने के लिए उसे -282 डिग्री सेल्सियस और हाइड्रोजन को -253 डिग्री सेल्सियस पर रखना पड़ता है। क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट के ऊपरी हिस्से में होता है।
अब अगले महीने ही संभव है लॉन्चिंग
इसरो के सूत्रों के मुताबिक, मिशन को स्थगित किए जाने के तुरंत बाद इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने वैज्ञानिकों की बैठक बुलाई जिसमें अगली लॉन्च तारीख पर चर्चा हुई। इसरो अध्यक्ष चाहते हैं कि अगले ही महीने मिशन लॉन्च हो जाए। सूत्रों के मुताबिक, अब लॉन्च पैड पर खड़े रॉकेट के टैंक में भरे ईंधन को खाली करने के बाद उसे एक बार फिर लॉन्च पैड वापस ले जाया जाएगा। इसके बाद पूरे मिशन को डिस्मेंटल कर नए सिरे से इंटीग्रेशन करना होगा। इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक जुलाई महीने में अब सिर्फ एक मिनट का ही लांच विंडो उपलब्ध है ऐसे में प्रक्षेपण जुलाई में संभव नहीं है, इसीलिए इसरो अगस्त के महीने में प्रक्षेपण की संभावनाओं को तलाश रहा है।
लॉन्चिंग देखने श्रीहरिकोटा पहुंचे थे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी यह लॉन्चिंग देखने के लिए प्रक्षेपण देखने के लिए श्रीहरिकोटा में ही थे। इसरो की ओर से प्रक्षेपण टालने की की आधिकारिक पुष्टि किए जाने से पहले भ्रम की स्थिति बनी रही। आपको बता दें कि आज तड़के 2.51 बजे होने वाले प्रक्षेपण की उल्टी गिनती 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दी गई। इसरो के सह-निदेशक (जनसंपर्क) बीआर गुरुप्रसाद ने कहा, ‘प्रक्षेपण यान प्रणाली में टी-56 मिनट पर एक तकनीकी खामी दिखी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आज के लिए टाल दिया गया है। नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।’
पहले जनवरी में होनी थी लॉन्चिंग
अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले प्रक्षेपण की तारीख जनवरी के पहले सप्ताह में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था। चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मार्क-।।।-एम-1 रॉकेट के जरिए चांद पर ले जाया जाना था। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज तड़के होने वाले प्रक्षेपण पर पूरे देश की निगाहें लगी थीं। इस 3,850 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था।
चंद्रमा तक पहुंचने में लगते 54 दिन
अब तक के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान GSLV मार्क-।।।-एम-1 रॉकेट के साथ 978 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होने की स्थिति में इसे चंद्रमा तक पहुंचने में 54 दिन लगते। रविवार सुबह 6.51 बजे इसके प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हुई थी। कई वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रक्षेपण टलने से थोड़ी निराशा जरूर हुई है, लेकिन समय रहते तकनीकी खामी का पता चल जाना एक अच्छी बात है। उन्होंने प्रक्षेपण की नई तारीख की जल्द घोषणा होने की उम्मीद भी व्यक्त की है। (एजेंसियों से इनपुट्स के साथ)