अहमदाबाद: अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (पीआरएल) ने भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 के लिए तीन पेलोड विकसित किए है और चंद्रयान-1 के बरखिलाफ इस बार इसमें एक ऑरबाइटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। भारत का चांद के लिए पहला अभियान अक्टूबर 2008 में गया था और अब दूसरे अभियान का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। पीआरएल के निदेशक डा. अनिल भारद्वाज ने बताया,‘‘पीआरएल ने चंद्रयान-2 के लिए तीन पेलोड विकसित किए हैं। ऑरबाइटर में पीआरएल में विकसित किया गया एक सौर एक्स मॉनिटर होगा। यह सूरज से आने वाली एक्सरे और चंद्रमा की सतह से सृजित होने वाली एक्सरे पर निगाह रखेगा।’’
भारद्वाज ने यह बात पीआरएल परिसर में आयोजित एक्वेटोरियल एयरोनामी पर 15वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से इतर पत्रकारों से बातचीत में कही। पीआरएल अंतरिक्ष विभाग की एक इकाई है जिसकी स्थापना 1947 में की गई। उन्होंने बताया, ‘‘लैंडर पर ‘चंद्राज सरफेस थरमोफिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चैस्ट) होगा। यह उपकरण है जो चांद की सतह के नीचे जा कर तापमान मापेगा। यह चांद पर लैंडर के उतरने के बाद काम करेगा।’’चैस्ट, चंद्रयान-2 अभियान के दौरान चांद की सतह पर किए जाने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों में से एक है।
भारद्वाज ने बताया कि चांद की सतह पर लैंडर के उतरने के बाद रोवर उससे निकलेगा और यह सतह पर इधर-उधर घूमेगा। पीआरएल ने उसके लिए एक विशेष उपकरण विकसित किया है जिसका नाम ‘अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर’ है। उन्होंने बताया कि इसका डिजाइन चांद की सतह पर मौजूद विभिन्न तत्वों और रासायनिक यौगिकों की पहचान के लिए किया गया है। रिपोर्टों के अनुसार चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण अगले साल जनवरी और मार्च के बीच किया जा सकता है। भारद्वाज ने बताया कि आवेशित कणों की पैमाइश के लिए भी एक उपकरण विकसित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस उपकरण से हम सौर आंधियों,आवेशित कणों और उसके ऊर्जा क्षेत्र का अध्ययन कर सकेंगे।’’
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