नई दिल्ली: चंद्रयान-2 ने आज तड़के पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर चंद्रमा की कक्षा की ओर कूच कर दिया है। वैज्ञानिकों की मानें तो पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा के बीच के गलियारे की यह यात्रा लगभग सात दिनों की होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक इसे चंद्रपथ पर डालने के लिए आज सुबह एक महत्वपूर्ण अभियान प्रक्रिया को अंजाम दिया।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के तीन बजे से सुबह चार बजे के बीच अभियान प्रक्रिया ‘ट्रांस लूनर इंसर्शन’ (टीएलआई) को अंजाम दिया गया। धरती की कक्षा से निकलने के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कराया जाएगा। चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद एक बार फिर कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
इस तरह तमाम बाधाओं को पार करते हुए यह सात सितंबर को यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जिस हिस्से में अभी तक कोई यान नहीं उतरा है। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-2 अभी तक तय कार्यक्रम के मुताबिक काम कर रहा है। इसके सभी उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं।
इसरो अब तक ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में ऊपर उठाने के पांच प्रक्रिया चरणों को अंजाम दे चुका है। पांचवें प्रक्रिया चरण को छह अगस्त को अंजाम दिया गया था। इसके बाद इसरो ने कहा था कि अंतरिक्ष यान के सभी मानक सामान्य हैं। ‘कक्षीय उत्थापन’ (यान को कक्षा में ऊपर उठाने) की प्रक्रिया को यान में उपलब्ध प्रणोदन प्रणाली के जरिए अंजाम दिया जाता है।
चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं - ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'। ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा कर शोध को अंजाम देगा। वहीं, लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्सा बनेगा। चांद की सतह पर लैंडिंग के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।