नई दिल्ली। चांद पर चंद्रयान 2 भेजकर भारत इतिहास रचने जा रहा है और दुनियाभर में भारत ऐसा चौथा देश होगा जो यह उपलब्धि प्राप्त करेगा। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ने चांद पर अपने यान भेजे हैं। चांद पर यान भेजने की पहल रूस ने की थी और अभी तक चीन यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला तीसरा देश है, भारत चौथा देश बनने वाला है।
जिस तरह भारत ने चांद पर चंद्रयान 2 भेजा है उसी तरह अमेरिका ने अपोलो मिशन के जरिए चांद पर यान उतारा था, और अमेरिका इस उपलब्धि को 50 साल पहले प्राप्त कर चुका है। 50 साल पहले अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चांद पर उतरने वाले क्रमश: पहले और दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने थे। 20 जुलाई 1969 को अमेरिका के ये दोनो अंतरिक्ष यात्री चांद पर पहुंचे थे, इसके बाद 19 नवंबर 1969 को नासा ने इंट्रेपिड नामक लैंडर के जरिए अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स पीट कॉनरैड और एलेन बीन को चांद पर उतारा। इन्होंने चांद पर भूकंप को रिकॉर्ड किया।
अपोलो 11 और अपोलो 12 मिशन की सफलता के बाद अमेरिका ने सफलता के नए मुकाम हासिल किए। अपोलो 15 मिशन में पहली बार 30 जुलाई 1971 को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने फॉल्कन लैंडर के जरिए डेविड स्कॉट और जेम्स इरविन को चांद पर उतारा। डेविड ने चंद्रमा पर खुली कार जैसा दिखने वाला लूनर रोविंग व्हीकल चलाया।
हालांकि अमेरिका जहां चांद की सतह पर अंतरिक्ष यात्री उतारने वाला पहला देश वहीं चांद पर यान भेजने वाला पहला देश रुस (सोबियत संघ) है। 12 सितंबर 1959 को रूस के लूना 2 मिशन को कामयाबी मिली। इसी मिशन के तहत रूस पहली बार चंद्रमा पर यान उतारने में सफल रहा। इसके बाद 4 अक्टूबर 1959 को सोवियत संघ के लूना 3 मिशन चांद की उस तरफ की फोटोग्राफ लाने में कामयाब रहा जो पृथ्वी की तरफ नही है।
चांद की सतह पर चीन का रोवर इसी साल पहुंचा है, चीन ने 7 दिसंबर 2018 को अपना मिशन लॉन्च किया था और उसका लैंडर और रोवर 3 जनवरी 2019 को चांद की सतह पर पहुंचा है।