चंडीगढ़: हरियाणा सरकार का मशहूर नारा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन चंडीगढ़ में ऐसी वारदात हुई है जिसके बाद ये कहना पड़ रहा है.. खट्टर राज में नेता के बेटे से बेटी बचाओ। इसकी वजह है वो वारदात जो चंडीगढ़ जैसे शहर में एक आईएएस की बेटी के साथ सरेआम हुई है। जिसने आज ना सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है। चंडीगढ़ छेड़छाड़ मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधा है आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
नेताजी के लाडले से बेटियों को बचाओ!
देश के हाईटेक शहरों में से एक चंडीगढ़ में हुई इस मामले में खादी और खाकी दोनों सवालों के घेरे हैं क्योंकि पीड़त एक आईएएस अफसर की बेटी है तो आरोपी सत्ताधारी पार्टी के बड़े ओहदे पर बैठे नेता का बेटा।
हरियाणा के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उसके दोस्त आशीष पर शराब पीकर लड़की से छेड़छाड़ का आरोप है। शराब, सियासत, पैसा और सत्ता का नशा विकास बराला पर किस कदर सवार था इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसने देश के सबसे मजफूज़ माने जाने वाले शहरों में से एक चंडीगढ़ में लड़की का पीछा कई किलोमीटर तक किया।
किसी तरह से खुद को बचाते हुए इस लड़की ने कार के अंदर से 100 नंबर डायल कर पुलिस को कॉल किया। शिकायत मिलते ही चंडीगढ़ पुलिस मौके पर पहुंच गई। लड़की का पीछा कर रहे दोनों लड़कों को काबू किया गया और सलाखों के पीछे भेज दिया गया।
हाईप्रोफाइल केस में पुलिस क्यों पलटी ?
लेकिन वक्त पर पहुंचकर वाह वाही बटोरने वाली पुलिस की अब सवालों के घेरे में हैं। आरोप है कि पुलिस वालों ने पहले आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज किय लेकिन जैसे ही विकास बराला के सत्ताधारी पार्टी के रसूखदार नेता का बेटा होने का पता चला जानबूझकर विकास पर से संगीन आरोपों की फेहरिस्त हटा दी और आईपीसी की मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर थाने से ही जमानत दे दी।
दोनों पर लड़की का पीछा करने की धारा 354 D और मोटर व्हीकल एक्ट 185 के तहत मामला दर्ज किया गया। ये धाराएं ऐसी हैं जिनसे आसानी से दोनों आरोपियों को जमानत मिल गई..जबकि इस मामले में छेड़छाड की दूसरी धाराएं भी लगनी चाहिए थी।
लड़की परेशान..बीजेपी नेता पर पुलिस मेहरबान
पुलिस भले प्रेशर न होने की बात कह रही है लेकिन सवाल उठता है कि पुलिस ने एफआईआर में पहले जोड़ी गईं धारा 365 तथा 511 को किसके दबाव में हटाया। दोनों धाराएं ग़ैर ज़मानती हैं.. जिनमें सात साल तक की सजा हो सकती है। पुलिस ने पहले पीड़ित का बयान क्यों नहीं लिया। आरोपियों को थाने से ही ज़मानत क्यों दे दी गई। आरोपी के हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष का बेटा होने की वजह से सवाल खटटर सरकार पर भी है। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का ये कहना है कि इस मामले में पुलिस और कानून कोई ढिलाई नहीं बरतेगा और आरोपियों पर कार्रवाई होगी।
पीड़ित लड़की चंडीगढ़ के एक बड़े अफसर की बेटी है। जरा सोचिए....जब सड़कों पर रसूखदार लोग ही सुरक्षित नहीं हैं तो फिर आम लड़की कैसे सुरक्षित होगी। लड़कियों को किन मुश्किलात का सामना करना पड़ता होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। रक्षा बंधन से ठीक पहले देश की एक बेटी के साथ हुई इस वारदात से हड़कंप है क्योंकि इसी हरियाणा से प्रधानमंत्री मोदी ने बेटी बचाओं.. बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद किया था। ज़ाहिर है जब तक सत्ता और सियासत का कॉकटेल इंसानी फितूर पर सवार रहेगा देश की बेटियों के महफूज़ होने पर सवाल उठते रहेंगे।
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