चमोली. चमोली में रविवार को आई 'जल प्रलय' ने भारी तबाही मचाई। ग्लेशियर टूटने के कारण आई बाढ़ की वजह से यहां न सिर्फ दो प्रोजेक्ट्स बह गए बल्कि बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की आंशका भी जताई जा रही है। अबतक 18 शव बरामद किए जा चुके हैं।
तपोवन में बड़ी टनल से मलबे को हटाने का काम किया जा रहा है। इस टनल में 30 से 40 मजदूरों के फंसे होने की बात कही जा रही है। रविवार को हुए हादसे में 200 से ज्यादा लोग लापता है। मलबे में दबे लोगों की खोज के लिए ITBP के जवान बचाव कार्य में स्निफर डॉग की मदद ले रहे हैं।
उत्तराखंड के ADG मनोज रावत ने कहा, ग्लेशियर टूटने से हुए नुकसान को हम अब कम करने का प्रयास कर रहे हैं। बहुत सारे लोग इसमें लापता हुए हैं। NTPC डैम में काम कर रहे लोग लापता हुए हैं और डैम को भारी नुकसान हुआ है।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि अब तक हमने 18 शव बरामद किए हैं और लापता लोगों की संख्या 202 है। हमने टनल में 80 मीटर तक मलबा हटा दिया है, आगे हमारी मशीनें लगी हुई हैं और हमें शाम तक कुछ सफलता मिलने की उम्मीद है।
NDRF के DG एस.एन. प्रधान ने कहा कि अभी हमारा पूरा ध्यान 2.5 किलोमीटर लंबी सुरंग के अंदर फंसे हुए लोगों को बचाने पर है। सभी टीमें उसी काम में लगी हुई हैं। सुरंग में 1 किलोमीटर से ज्यादा तक की मिट्टी को हटा दिया गया है। जल्द ही हम उस स्थान तक पहुंच जाएंगे जहां पर लोग जीवित हैं।
चमोली की ज़िलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने बताया कि पुल टूटने से जो 13 गांव अलग हो गए हैं उनके लिए बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है और उन्हें राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। हमारी मेडिकल टीमें भी पहुंच गई हैं। जो लोग अलग-अलग पहाड़ों पर फंसे हुए हैं उनके लिए भी बचाव कार्य चल रहा है।
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि तपोवन प्रोजेक्ट का काम चल रहा था, इसमें बड़ी संख्या में श्रमिक काम कर रहे थे। 203 लोग लापता हैं। मैंने अपने मुख्य सचिव को बोला है कि यहां मौजूद ISRO के वैज्ञानिकों की मदद से ग्लेशियर टूटने के कारणों को ढूंढा जाए ताकि भविष्य में हम एहतियात बरत सकें।
एनडीआरएफ के प्रमुख एस एन प्रधान ने ट्विटर पर बताया कि एमआई-17 हेलिकॉप्टरों की मदद से घटनास्थल पर और दलों को भेजा गया है। ये हेलिकॉप्टर जोशीमठ में हैलिपेड पर उतरे। उन्होंने कहा कि एजेंसियां करीबी समन्वय में काम कर रही हैं। रविवार शाम को एक छोटी सुरंग से आईटीबीपी के जवानों ने कम से कम 12 लोगों को बचाया था। उनमें से तीन को आईटीबीपी के जोशीमठ स्थित अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। आईटीबीपी के एक अधिकारी ने बताया कि उन लोगों की हालत ठीक है।
बचाव और राहत में बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। तपोवन क्षेत्र में बिजली परियोजना की बड़ी सुरंग के घुमावदार होने के कारण उसमें से मलबा निकालने तथा अंदर तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं।