नयी दिल्ली: सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में संशोधन की योजना बना रही है। संशोधन के मसौदे के अनुसार सोशल मीडिया मंचों तथा संदेश सेवा प्रदान करने वाले एप्स को ऐसे ‘व्यवस्था’ करनी होगी जिससे गैरकानूनी सामग्री की ‘‘पहचान’’ हो सके और उन पर अंकुश लगाया जा सके। साथ ही इसके तहत उन्हें अपनी जांच पड़ताल की व्यवस्था सख्त करनी होगी। आईटी मंत्रालय के अधिकारियों की पिछले सप्ताह गूगल, फेसबुक, व्हॉट्सएप, ट्विटर और अन्य कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों के साथ बैठक हुई थी जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बदलाव के प्रस्तावों पर विचार किया गया।
व्हॉट्सएप और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर अफवाहें फैलने के बाद भीड़ के आक्रमण में कुछ लोगों के मारे जाने की घटनाओं के बाद सरकार इस तरह के मंचों के दुरुपयोग को रोकने के तरीकों पर विचार कर रही है। साथ ही यह विचार भी है कि सोसल मीडिया पर 2019 के आम चुनाव से पहले किसी तरह के फर्जी संदेशों के प्रसार को रोकने के उपाय ठोस किए जाएं। संशोधन के वृहद प्रभाव को लेकर कुछ हलकों से चिंता जताए जाने के बाद सरकार ने सोमवार को कहा कि वह अभिव्यक्ति की आजादी तथा अपने नागरिकों की निजता को लेकर प्रतिबद्ध है। सरकार ने पिछले सप्ताह दस केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर के डाटा को मार्ग में पकड़ने के लिए अधिकृत किया है। विपक्ष ने इसको लेकर काफी हंगामा किया। आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन के मसौदे के अनुसार गैरकानूनी सामग्री की पहचान और उसे बेकार करने के लिए आटोमेटेड टूल्स लगाए जाएंगे।
आईटी मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए मसौदे में कहा गया है कि सोशल मीडिया मंचों को प्रौद्योगिकी आधारित आटोमेटेड उपकरण या उचित व्यवस्था करनी होगी, जिसपर उचित नियंत्रण हो, जिससे अग्रसारी तरीके से गैरकानूनी सामग्री को रोका जा सके। एक अन्य बदलाव का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत ऐसे मंचों को अपने प्रयोगकर्ताओं को सूचित करना होगा कि वे किसी तरह की ईशनिंदा, अश्लील, अपमानजनक, नफरत फैलाने वाली या जातीय दृष्टि से आपत्तिजनक सामग्री की होस्टिंग, अपलोडिंग करने और साझा करने से बचें।
आईटी मंत्रालय संशोधन के मसौदे पर 15 जनवरी तक सार्वजनिक टिप्पणियां लेगा और उसके बाद इस पर कोई अंतिम फैसला करेगा। इस बारे में गूगल, फेसबुक और व्हॉट्सएप को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला। सोमवार को जारी बयान में आईटी मंत्रालय ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया मंचों पर आने वाली सामग्री का नियमन नहीं करती। हालांकि, इन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मंच का इस्तेमाल आतंकवाद, अतिवाद, हिंसा और अपराध के लिए भड़काने को इस्तेमाल नहीं किया जा सके।