नयी दिल्ली। असम-मिजोरम सीमा पर हाल में हुए संघर्ष की सीबीआई जैसी किसी तटस्थ एजेंसी से जांच कराने की केंद्र की कोई योजना नहीं है, लेकिन वह विवाद का जल्द से जल्द शांतिपूर्ण समाधान करने की कोशिश कर रहा है। सरकार के दो शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहती जिससे स्थिति और बिगड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार असम और मिजोरम के बीच मौजूदा सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहती है तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों मुख्यमंत्रियों-हिमंत बिस्व सरमा (असम) और जोरमथंगा (मिजोरम) दोनों के लगातार संपर्क में हैं।
जोरमथंगा ने भी ट्वीट किया, ‘‘मुझे अब भी केंद्र से असम-मिजोरम तनाव के सौहार्दपूर्ण समाधान की उम्मीद है।’’ उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों को भी टैग किया। वहीं, असम के मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘हमारा मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर की भावना को जीवित रखने का है। असम-मिजोरम सीमा पर जो कुछ हुआ, वह दोनों राज्यों के लोगों को अस्वीकार्य है। सीमा विवाद का समाधान केवल चर्चा से हो सकता है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या 26 जुलाई को हुई झड़प की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी किसी तटस्थ एजेंसी को दिए जाने की संभावना है, तो सरकार के दोनों शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है। झड़प में असम के पांच पुलिसकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई थी तथा 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त असम या मिजोरम में से किसी भी राज्य ने किसी तटस्थ एजेंसी से जांच कराने का कोई औपचारिक आग्रह नहीं किया है।
इनमें से एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दोनों राज्य सरकार सहयोग कर रही हैं तथा केंद्र सरकार को विश्वास है कि सीमा पर अब और कोई संघर्ष नहीं होगा।’’ छब्बीस जुलाई की हिंसा के बाद असम और मिजोरम पुलिस दोनों ने एक-दूसरे के राजनीतिक नेताओं, पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की हैं। सरकार के दोनों अधिकारियों ने असम-मिजोरम सीमा पर तनाव कम करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया।
दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों ने 28 जुलाई को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में भाग लिया था जिसमें संघर्ष स्थल पर एक तटस्थ बल (सीआरपीएफ) को तैनात करने का निर्णय हुआ। इससे पहले, दोनों मुख्य सचिवों ने दिल्ली में एक द्विपक्षीय बैठक में मुलाकात की थी। इसके बाद, केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को परामर्श जारी कर अंतरराज्यीय सीमा पर शांति बनाए रखने को कहा था। दोनों अधिकारियों ने कहा कि 26 जुलाई की हिंसा एक ‘‘छिटपुट’’ घटना थी और भविष्य में इस तरह की घटना फिर से होने की संभावना नहीं है।