Friday, November 22, 2024
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केन्द्र का SC से आग्रह, दया याचिका खारिज होने के 7 दिन के अन्दर दोषियों को फांसी दी जाय

अब निर्भया के कातिल कानूनी दांव पेंचों के जरिए ज्यादा दिन तक फांसी से नहीं बच सकेंगे क्योंकि सरकार ने कानून की खामियों को दूर करने की कोशिश शुरू कर दी है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 22, 2020 23:45 IST
Centre moved SC for fixing 7-day deadline for executing death row convicts- India TV Hindi
Centre moved SC for fixing 7-day deadline for executing death row convicts

नई दिल्ली: अब निर्भया के कातिल कानूनी दांव पेंचों के जरिए ज्यादा दिन तक फांसी से नहीं बच सकेंगे क्योंकि सरकार ने कानून की खामियों को दूर करने की कोशिश शुरू कर दी है। बुधवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके जेल मेन्युअल की कमियों को दूर करने की अपील की है। गृह मंत्रालय की तरफ से की गई अपील में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी व्यवस्था बनाए ताकि एक बार डेथ वारंट जारी होने के बाद सात दिन के अंदर या तो अपराधी को फांसी पर लटका दिया जाए या फिर मर्सी पिटीशन के जरिए उसकी मौत की सजा माफ हो जाए। किसी भी सूरत में मामले को लटकाया ना जा सके और फांसी में किसी तरह की देरी न हो।

असल में जेल मैन्युअल में लिखा गया है कि सारी लीगल रैमेडीज खत्म होने के बाद...दया याचिका खारिज होने के बाद भी अपराधी को चौदह दिन से पहले फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता। जेल मैन्युअल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही बना है। सरकार का कहना है कि जेल मैन्युअल की इसी कमी की वजह से निर्भया के कातिलों को फांसी के फंदे पर लटकाने में देर हो रही है। चारों अपराधी एक-एक करके रिव्यू पिटीशन...फिर क्यूरेटिव पिटीशन....फिर मर्सी पिटीशन फाइल कर रहे हैं। अभी सिर्फ एक अपराधी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की है जबकि सिर्फ पवन की तरफ से क्यूरेटिव पिटीशन लगाई गई है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत खारिज कर दिया था।

चारों अपराधियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी हो चुका है लेकिन फिर बचे हुए तीन अपराधियों में किसी की तरफ से दया याचिका लगाई जा सकती है। इसीलिए केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वो जेल मैन्युअल में बदलाव करके...याचिका दाखिल करने की डेडलाइन तय करे। सरकार ने कोर्ट को सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर मुहर लगने के बाद दोषियों को सिर्फ एक हफ्ते में रिव्यू पिटीशन या क्यूरेटिव पिटशन फाइल करने की छूट होनी चाहिए। याचिका खारिज होने के एक हफ्ते के भीतर डेथ वारंट जारी होना चाहिए और डेथ वारंट जारी होने के एक हफ्ते के भीतर दया याचिका फाइल करने का हक होना चाहिए। सरकार का तर्क है एक बार देश की सबसे बड़ी अदालत से फैसला होने के बाद अपराधी अपने कानूनी हकों का दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे।

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