नई दिल्ली: जनगणना-2021 को जाति आधारित बनाने की उठ रही मांगों के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि उसके पास 2011 की जनगणना के दौरान एकत्रित किया गया जातीय आंकड़ा उपलब्ध है लेकिन वह इसलिए इसे जारी नहीं कर रही है क्योंकि इसके आंकड़े पुराने हो गए हैं और उपयोग करने योग्य नहीं रहे। राज्यसभा में बुधवार को एक लिखित जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार के पास जनगणना-2011 (सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना) के दौरान एकत्र किया गया कच्चा जातीय आंकड़ा मौजूद है।
सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘जी हां। सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना 2011 (एसईसीसी-2011) के दौरान एकत्रित कच्च आंकड़े भारत के महापंजीयक के पास उपलबध हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार का देर सबेर इन जातीय आंकड़ों को जारी करने का कोई विचार है, कुमार ने कहा, ‘जी नहीं।’ इसकी वजह बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘एसईसीसी-2011 में वर्णित जातिगत सूचना के विशाल आंकड़ों में भारत के महापंजीयक द्वारा अनेक तकनीकी समस्याएं ध्यान दी गई हैं। इसके अलावा, डाटा बहुत पुराना हो है और उपयोग करने योग्य नहीं रहा है।’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर, 2019 को भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरू करने एवं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दी थी। इसके तहत पूरे देश में जनगणना का कार्य दो चरणों में संपन्न किया जाएगा। सरकारी अनुमान के अनुसार, जनगणना 2021 की प्रक्रिया पूरी करने में 8,754 करोड़ 23 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस प्रक्रिया में देश के विभिन्न राज्यों के अलग-अलग विभागों के 30 लाख कर्मचारी भाग लेंगे, जबकि NPR के लिए 3941 करोड़ 35 लाख रुपये का खर्च आएगा। वर्ष 2011 की जनगणना में देश भर से लगभग 27 लाख कर्मचारियों ने अपना योगदान दिया था।
देश में हर 10 साल बाद जनगणना का काम 1872 से किया जा रहा है। जनगणना-2021 देश की 16वीं और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। जनसंख्या गणना आवासीय स्थिति, सुविधाओं और संपत्तियों, जनसंख्या संरचना, धर्म, अनुसूचित जाति/जनजाति, भाषा, साक्षरता और शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों, विस्थापन और प्रजनन क्षमता जैसे विभिन्न मानकों पर गांवों, शहरों और वार्ड स्तर पर लोगों की संख्या के सूक्ष्म से सूक्ष्म आंकड़े उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा स्रोत है। उल्लेखनीय है कि जनगणना-2021 को जाति आधारित बनाने की मांग देश में जोर पकड़ रही है।
राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जातियों की पहचान करने और उसकी सूची बनाने का अधिकार देने वाला 127वां संविधान संशोधन विधेयक, 2021 संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस विधेयक का किसी भी पार्टी ने विरोध नहीं किया। हालांकि इस विधेयक पर चर्चा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों और जनता दल यूनाइटेड जैसे भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी ने भी जातीय जनगणना की मांग उठाई थी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने जाति आधारित जनगणना की सदस्यों की मांग पर कहा कि 2011 की जनगणना में संबंधित सर्वेक्षण कराया गया था लेकिन वह अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) पर केंद्रित नहीं था। उन्होंने कहा कि उस जनगणना के आंकड़े जटिलताओं से भरे थे।