![Central Government is not giving the benefits of the reduced oil prices to the public: Manmohan Sing](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
बेंगलुरू: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतों में आई कमी के लाभ जनता को न देकर उसे दंडित किया है। कांग्रेस नेता ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पेट्रोल व डीजल की कीमतें देश में ऐतिहासिक उच्चस्तर पर हैं। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी घट गई हैं। मोदी सरकार ने इसका लाभ आम जनता को देने के बदले पेट्रोलियम पर अत्यधिक उत्पाद कर लगाकर हमारे लोगों को सजा देने का काम किया है।" मनमोहन सिंह (86) 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए यहां प्रचार करने आए हैं।
उन्होंने कहा, "हमारे (संप्रग सरकार) कार्यकाल (2004-14) के दौरान हमने कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के प्रभाव से आम आदमी को बचाया था। वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के बाद से अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतें 67 फीसदी गिरी हैं, लेकिन पेट्रोल व डीजल की कीमतें 110 फीसदी बढ़ी हैं।" तथ्यों व आंकड़ों को पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने कीमतों पर लगातार कर बढ़ाकर आम आदमी से 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है।
उन्होंने कहा, "हमें उनसे पूछना चाहिए कि यह धन किस कार्य में इस्तेमाल किया जाएगा। एक स्वस्थ्य अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छे तरीके से काम करने वाले बैंकिंग क्षेत्र की जरूरत होती है। न तो बैंक कर्ज दे रहे हैं और न निजी क्षेत्र नए निवेश के लिए कर्ज ले रहे हैं।" मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पास 'विचार व विश्लेषण के अभाव' के कारण देश व हमारा सामूहिक भविष्य प्रभावित हो रहा है।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय माहौल के बावजूद विकास दर के मामले में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसकी पूर्ववर्ती सरकार ने अशांत वैश्विक परिस्थितियों का सामना करते हुए बेहतर काम किया था। राष्ट्र के मुश्किल दौर से गुजरने, किसानों के सामने खड़े संकट, युवाओं को रोजगार नहीं मिलने व अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को नोटबंदी व जल्दबाजी में जीएसटी के क्रियान्वयन जैसी दो भूलों से बचना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नुकसान पहुंचा, जिससे हजारों रोजगार खत्म हुए। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई, 2017 को मूल्यवर्धित कर व सेवा कर सहित विभिन्न राज्य व केंद्रीय करों की जगह पर अप्रत्यक्ष कर के तौर पर लागू किया गया।
उन्होंने कहा, "घाटे के अलावा अर्थव्यवस्था को इन दो भूलों से नुकसान उठाना पड़ा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के तौर पर निर्यात 14 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया।" लोगों के जीवन पर आर्थिक नीति का विशेष प्रभाव पड़ने की बात कहते हुए मनमोहन ने कहा कि नीति नियंताओं को नीतियों व कार्यक्रमों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन जनता के बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास को खत्म कर रहा है और मैं इसे जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। हाल के समय में विभिन्न राज्यों में नकदी की कमी को रोका जा सकता था।"