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CDS बिपिन रावत ने की सैन्य सुधार के बड़े एजेंडे की घोषणा

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि भारत में पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए दो से पांच ‘थियेटर कमान’ होंगी और ऐसी पहली कमान 2022 तक प्रभाव में आने की संभावना है।

Written by: Bhasha
Published : February 17, 2020 22:40 IST
CDS Bipin Rawat
Image Source : PTI CDS Bipin Rawat

नई दिल्ली: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि भारत में पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए दो से पांच ‘थियेटर कमान’ होंगी और ऐसी पहली कमान 2022 तक प्रभाव में आने की संभावना है। CDS ने कहा कि भारतीय नौसेना की पूर्वी और पश्चिमी कमानों का विलय कर बनने वाली प्रस्तावित ‘पेनिनसुला कमान’ 2021 के अंत तक आकार ले सकती है, वहीं जम्मू कश्मीर में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को एक विशेष थियेटर कमान संभालेगी। 

जनरल रावत ने पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में सैन्य आधुनिकीकरण की अपनी योजना साझा की। उन्होंने कहा कि 114 लड़ाकू विमानों सहित बड़े सैन्य सौदों की क्रमबद्ध तरीके से खरीदारी की नयी पहल को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकार ने जनरल रावत को 31 दिसंबर को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष नियुक्त किया था। सरकार के इस फैसले का मकसद तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सैन्य कमानों का पुनर्गठन करना है। 

उन्होंने कहा कि वायु सेना उप प्रमुख के नेतृत्व में एक दल वायु रक्षा कमान स्थापित करने के लिए अध्ययन कर रहा है और उसे 31 मार्च तक अध्ययन पूरा करने के लिए कहा गया है। जनरल रावत ने कहा, ‘‘इसके बाद अध्ययन को लागू करने के लिए आदेश जारी किये जाएंगे। हम अगले साल की पहली छमाही में वायु रुक्षा कमान को आकार दे देंगे।’’ प्रायद्वीप कमान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह अगले साल के अंत तक बनने की संभावना है। जनरल रावत ने कहा कि भारत की पहली थियेटर कमान 2022 तक बनाने का उद्देश्य है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हम जम्मू कश्मीर के लिए अलग थियेटर कमान बनाने की योजना बना रहे हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा का क्षेत्र शामिल होगा।’’ प्रत्येक थियेटर कमान में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक निकाय के तौर पर काम करेंगी तथा एक कमांडर के नेतृत्व में किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखेंगी। इस समय सेना, नौसेना और वायु सेना की अलग-अलग कमानें हैं। 

जनरल रावत ने यह संकेत भी दिया कि भारतीय नौसेना को तीसरे विमानवाहक पोत के लिए मंजूरी जल्द मिलने की कोई संभावना नहीं लगती क्योंकि प्राथमिकता उसके पनडुब्बी बेड़े को मजबूत करने की है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने में लागत एक बड़ा कारक हो सकता है क्योंकि विमानवाहक पोत बहुत कीमती होते हैं। 

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने तीन दिसंबर को कहा था कि नौसेना की दीर्घकालिक योजना तीन विमानवाहक पोत रखने की है ताकि हिंद महासागर क्षेत्र में हर समय दो विमानवाहक पोत समूह तैनाती के लिए उपलब्ध हों। नौसेना चीन के बढ़ते समुद्री दबदबे से निपटने के लिए तीसरे विमानवाहक पोत पर जो दे रही है। 

जनरल रावत ने यह भी कहा कि सरकार की अमेरिका के तर्ज पर एक अलग प्रशिक्षण एवं सैद्धांतिक कमान बनाने की भी योजना है वहीं तीनों सेनाओं की साजो-सामान संबंधी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए एक अलग कमान होगी।

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