नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को CBI मामले में CVC की रिपोर्ट पर सुनवाई की। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 नवंबर यानि मंगलवार तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने CBI निदेशक आलोक वर्मा की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच, उन्हें ड्यूटी से हटाकर छुट्टी पर भेजने के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के संबंध में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) द्वारा सीलबंद लिफाफे में उसके सामने रखी गई रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में कुछ पहलू पेचीदा हैं। अदालत ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ लगे कुछ आरोपों का सीवीसी की रिपोर्ट समर्थन नहीं करती है और कुछ मामलों में उसका कहना है कि और जांच की जरूरत है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को सीलबंद लिफाफे में CVC की रिपोर्ट दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आलोक को सीलबंद लिफाफे में ही CVC की रिपोर्ट का जवाब देना होगा। वहीं, राकेश अस्थाना के वकील ने भी CVC की रिपोर्ट मांगी, लेकिन उनकी इस मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया। पीठ CBI के कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव की रिपोर्ट पर भी विचार किया। राव ने 23 से 26 अक्टूबर तक उनके द्वारा किये गये फैसलों के संबंध में अदालत में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दायर की थी। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक कोई बड़ा पैसला नहीं ले सकते। वर्मा द्वारा दायर याचिका के अलावा, अदालत में NGO ‘कॉमन कॉज’ की जनहित याचिका भी विचाराधीन है। इस याचिका में CBI अधिकारियों के खिलाफ विशेष जांच दल द्वारा जांच की मांग की गई है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, CBI, CVC, CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, CBI निदेशक आलोक वर्मा और कार्यकारी निदेशक राव को नोटिस जारी करते हुए 12 नवंबर को अपना जवाब दर्ज कराने को कहा था। 12 नवंबर को ही CVC ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी थी। CBI प्रमुख आलोक वर्मा ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्यमुक्त कर छुट्टी पर भेजने के सरकार के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में अपील की थी। वर्मा और विशेष निदेशक अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।