नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को अदालत को बताया कि पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन से संबंधित नीतिगत मामले में गुमराह किया था।
विशेष वकील आनंद ग्रोवर ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी से कहा कि राजा ने नवंबर, 2007 में लिखे पत्र में 'पहले आओ पहले पाओ' (एफसीएफएस) नीति और निर्दिष्ट तारीखों के बारे में मनमोहन को गुमराह किया था।
ग्रोवर ने कहा कि राजा ने एफसीएफएस नीति को जानबूझ कर बदल दिया। यूनिटेक वायरलेस लिमिटेड के पक्ष में 2जी लाइसेंस को लेकर राजा ने कंपनियों के आवेदन प्राप्त करने की निर्दिष्ट तारीख भी बदल दी थी।
ग्रोवर ने कहा कि राजा ने अयोग्य कंपनियों जैसे स्वान टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस लिमिटेड को स्पैक्ट्रम आवंटित किया।
इस मामले पर अंतिम चरण की सुनवाई बुधवार को शुरू हुई, जिस पर अगली सुनवाई 25 मई को होगी।
यह मामला 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें राजा, डीएमके सांसद कनिमोझी और अन्य आरोपी अदालती सुनवाई का सामना कर रहे हैं।
सीबीआई के अनुसार, ए.राजा ने 2जी मोबाइल रेडियो तरंग और टेलीकॉम कंपनी को लाइसेंस आवंटित करने में पक्षपात किया, जिससे देश के कोषागार को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
अदालत ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत 22 अक्टूबर, 2011 को 14 लोगों तथा तीन कंपनियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।
राजा सहित सभी आरोपी जमानत पर रिहा है।