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हिरासत में लिए गए अधिकारियों से CBI की प्लानिंग जानना चाह रही थी कोलकाता पुलिस, अधिकारी ने बताई 'आंखों देखी'

कोलकाता पुलिस, सीबीआई के उन अधिकारियों से ‘‘जांच योजना’’ के संबंध में सूचना चाह रही थी जिन्हें शहर के एक पुलिस थाने में कुछ घंटे के लिए हिरासत में रखा गया था।

Written by: Bhasha
Updated : February 04, 2019 22:28 IST
कोलकाता पुलिस, सीबीआई...
Image Source : ANI कोलकाता पुलिस, सीबीआई के उन अधिकारियों से ‘‘जांच योजना’’ के संबंध में सूचना चाह रही थी जिन्हें शहर के एक पुलिस थाने में कुछ घंटे के लिए हिरासत में रखा गया था।

नई दिल्ली: कोलकाता पुलिस, सीबीआई के उन अधिकारियों से ‘‘जांच योजना’’ के संबंध में सूचना चाह रही थी जिन्हें शहर के एक पुलिस थाने में कुछ घंटे के लिए हिरासत में रखा गया था। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के उस अनुरोध की अभिस्वीकृति से भी इनकार कर दिया, जिसमें उसने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के कोलकाता स्थित आवास पर अपनी जांच के लिए उसका सहयोग मांगा था।

सीबीआई अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि कोलकाता पुलिस अधिकारियों ने सीबीआई टीम पर इसको लेकर दबाव बनाना जारी रखा कि वह ‘‘जांच योजना’’ का खुलासा करे। सीबीआई की उस टीम को जबर्दस्ती शेक्सपीयर सरनी पुलिस थाने ले जाया गया था।

अधिकारी ने कहा, ‘‘कोलकाता पुलिस द्वारा जानबूझकर, बलपूर्वक, डाली गई बाधा के चलते सीबीआई अपनी कार्रवाई पूरी नहीं कर सकी और उसे वापस लौटना पड़ा।’’ अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने तीन बार पत्र लिखकर कुमार से मौजूद रहने के लिए कहा था जो कि चिटफंड घोटाले की जांच करने वाली कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम के सदस्य थे।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उनसे कोई ‘‘सकारात्मक जवाब’’ नहीं मिलने पर सीबीआई के 11 अधिकारियों की एक टीम दो स्वतंत्र गवाहों और सहायता कर्मियों के साथ रविवार शाम पौने छह बजे कुमार के आवास के बाहर पहुंची, जहां का प्रवेशद्वार उन्हें बंद मिला।

अधिकारी ने बताया कि सीबीआई के कुछ अधिकारी शाम छह बजे शेक्सपीयर सरनी पुलिस थाने गए और स्थानीय पुलिस को अपने दौरे के बारे में सूचना देते हुए सहयोग मांगा और उसके लिए अभिस्वीकृति मांगी। अधिकारी ने बताया कि संबंधित अधिकारी ने उन्हें अभिस्वीकृति देने से इनकार कर दिया।

इस बीच पुलिस आयुक्त के आवास के बाहर खड़े सीबीआई उप अधीक्षक तथागत वर्धन ने मुख्यद्वार की सुरक्षा में खड़े एक पुलिसकर्मी से पूछा कि क्या कुमार अंदर हैं। अधिकारी ने बताया कि ये पूछे जाने पर पुलिसकर्मी वर्धन को सड़क पर पुलिस के एक वाहन के पास ले गया और उनसे उसमें बैठने को कहा। जब वर्धन ने कहा कि उनसे इस तरह से जबर्दस्ती नहीं की जा सकती तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें वाहन में धकेल दिया।

टीम ने तब अपने पुलिस अधीक्षकों पार्थ मुखर्जी (आर्थिक अपराध प्रथम) और प्रमोद कुमार मांझी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) को मदद के लिए बुलाया। दोनों कोलकाता के दौरे पर थे। दोनों अधिकारी पुलिस थाने पहुंचे और इस बात पर जोर दिया कि अभिस्वीकृति मुहैया कराई जानी चाहिए और पुलिस को सीबीआई टीम को जांच पूरी करने में मदद करनी चाहिए।

अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के दो डीसीपी मुरलीधर शर्मा और मिराज खालिद से भी सम्पर्क किया लेकिन उन्होंने भी ‘‘सहयोग नहीं किया।’’ इसका अंत तब हुआ जब सीबीआई को पुलिस थाने से जाने को कहा गया। वे शहर स्थित अपने निजाम पैलेस कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने रात के 11 बजकर 55 मिनट पर घटनाक्रम की जानकारी दर्ज की।

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