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सीबीआई ‘गायब’ सोना के मामले में करा रही आंतरिक जांच: अधिकारी

सीबीआई ने आठ साल पहले जब्त 43 करोड़ रुपये का 103 किलोग्राम सोना गायब होने के बाद आतंरिक जांच शुरू की है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 12, 2020 20:19 IST
CBI, CBI missing gold case
Image Source : INDIA TV CBI conducting internal enquiry into 'missing' gold: Officials

नयी दिल्ली। सीबीआई ने आठ साल पहले जब्त 43 करोड़ रुपये का 103 किलोग्राम सोना गायब होने के बाद आतंरिक जांच शुरू की है। अधिकारियों ने इस बारे में बताया। मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु अपराध शाखा-सीआईडी पुलिस को गायब सोना के मामले में जांच करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2012 में सीबीआई ने चेन्नई में सुराना कॉरपोरेशन लिमिटेड के कार्यालय पर छापेमारी में 400.47 किलोग्राम आभूषण जब्त किया था। यह सोना भी इसी अभियान के दौरान जब्त किया गया था। 

सोना-चांदी के आयात के संबंध में मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एमएमटीसी) के कुछ अधिकारियों द्वारा कंपनी को मदद पहुंचाने संबंधी आरोपों के बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की थी। उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान एजेंसी के वकील ने कहा ‘‘इस संबंध में सीबीआई द्वारा आंतरिक जांच करायी जा रही है।’’

उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘जब इस अदालत ने सवाल किया कि चोरी के लिए प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गयी तो विशेष लोक अभियोजक ने कहा इस मामले में सीबीआई आंतरिक जांच कर रही है। उन्होंने इस अदालत से चोरी के लिए प्राथमिकी दर्ज करने और जांच के वास्ते सीबीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी सुझाया कि यह अदालत किसी राज्य की पुलिस या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को जांच के लिए निर्देश दे सकती है।’’ 

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अदालत या सीबीआई के मालखाना से संपत्ति गायब होती है तो क्या किया जाना चाहिए।’’ इसका जवाब स्पष्ट है। उच्च न्यायालय ने कहा कि संबंधित थाना क्षेत्र में चोरी के लिए एक प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए और सीआरपीसी के अध्याय बारहवें के तहत पुलिस जांच होनी चाहिए। आम तौर पर संपत्ति गायब होने के मामले में सीबीआई स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाती है लेकिन इस साल मार्च में मामला सीबीआई निदेशक आर के शुक्ला के संज्ञान में आने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शुक्ला को फरवरी 2018 में सीबीआई का प्रमुख बनाया गया था। उनके पास जांच एजेंसी में काम करने का पहले से कोई अनुभव नहीं था। उनका दो साल का निर्धारित कार्यकाल अगले साल फरवरी में खत्म होगा। मामले पर सीबीआई निदेशक का जवाब नहीं मिल पाया। 

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