नयी दिल्ली: कैग ने संप्रग शासनकाल के दौरान भारतीय नौसेना द्वारा बोइंग को दिए गये 2.1 अरब अमेरिकी डालर के विमान ठेके को लेकर सवाल उठाए हैं। कैग की रिपोर्ट से यह संकेत मिलता है कि पी-81 विमानों के बेड़े की खरीद में प्रतिस्पर्धी बोलीदाता स्पेन की ईएडीएस सीएएसए के मुकाबले अमेरिका की इस प्रमुख रक्षा कंपनी बोइंग का पक्ष लिया गया।
भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक (कैग) ने आज संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने स्पेनी एयरोस्पेस फर्म की वित्तीय बोली को बढ़ा दिया कि यह कंपनी 20 साल का ‘उत्पाद समर्थन’ लागत देगी। यह बोली इस धारणा के आधार पर बढ़ा दी गयी कि बोइंग ने भी इसी तरह की पेशकश की है।
कैग ने कहा कि बोइंग ने बाद में विमान रखरखाव समर्थन की पेशकश अलग से एक अन्य अनुबंध के जरिये की जिस पर बातचीत हो सकती है। अंकेक्षक ने इस निष्कर्ष को गलत बताया कि अमेरिकी कंपनी ने सबसे निचली बोली लगायी। रिपोर्ट ने कहा कि इसके चलते स्पेनी कंपनी को अपनी वित्तीय बोली को बढ़ाना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार यह समझौता जनवरी 2009 बोइंग के साथ 2.1 अरब डालर (मौजूदा विनिमय दर से करीब 14,500 करोड़ रूपये) में किया गया। इसमें कहा गया कि बाद की तिथि में अमेरिका की बोइंग ने एक अन्य अनुबंध के जरिये उत्पाद समर्थन की पेशकश की। इसके चलते बोइंग को सबसे कम बोलीदाता के रूप में रैंक देने का निष्कर्ष गलत साबित हुआ।