नई दिल्ली: भारत सरकार ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़े डाक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 65 साल कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि यह एक अच्छा और व्यावहारिक फैसला है जिसकी वजह से देश को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। इस अच्छे कदम से लोगों के लिए गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाओं की खातिर अनुभवी चिकित्सकों की सेवाएं लंबे समय तक ली जा सकेंगी। कैबिनेट ने आज के अपने फैसले में सभी मंत्रालयों, विभागों और संगठनों को उनके यहां प्रशासनिक कार्यों में नियुक्त डाक्टरों के कामकाज की जरुरतों के हिसाब से रिटायरमेंट की उम्र तय करने का अधिकार भी दिया है।
यह एक नई व्यवस्था जो कि भारतीय रेल,केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों जैसे स्वायत्त शिक्षण संस्थाओं जहाज़रानी मंत्रालय के तहत पोर्ट ट्रस्ट ऑफ इंडिया जैसी स्वायत्त इकाईयों,विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों जैसे रक्षा उत्पादनों की इकाइयों में काम कर रहे डाक्टरों एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, रेलवे और उच्च शिक्षण संस्थाओं में काम कर रहे दंत चिकित्सकों के लिए की गई है।
कहा जा रहा है कि सरकार के इस फैसले ने अलग-अलग मंत्रालयों और सरकारी विभागों में काम कर रहे हजारों डाक्टरों को लाभ होगा। इसका ज्यादा भार इसलिए नहीं आएगा क्योंकि पहले ही बड़ी संख्या में चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं जिन डाक्टरों की रिटायरमेंट कि आयु बढ़ाई गई है वह पहले से ही दिये हुए पदों पर काम करते रहेंगे, उनके लिए कोई नए पद नहीं बनाए जाएंगे।
सरकार ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहें डाक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 31 मई, 2016 को बढ़ा दी थी, जिसके बाद और स्वास्थ सेवाओं से जुड़े चिकित्सकों ने उन्हें यह लाभ दिए जाने की मांग की थी। उनकी इन मांगो को स्वीकार करते हुए ही भारत सरकार ने आज सभी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु को भी 65 वर्ष करने के लिए मंजूरी दे दी है।