नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह आयोग देश के कर संसाधनों का आकलन करने और उसे राज्यों के बीच बांटने का फॉर्मूला सुझाएगा। अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के वेतन में बढो़तरी का रास्ता साफ हो गया है। इससे सुप्रीम कोर्ट के 32 और हाईकोर्ट 1079 जजों को फायदा होगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) को अपने कर्मचारियों का वेतन संशोधन करने को मंजूरी प्रदान कर दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह जानकारी दी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उन्होंने कहा, "देश में कुल 320 सीपीएसई है, जिनमें 9.35 लाख यूनियन और गैर-यूनियन कर्मी हैं। मंत्रिमंडल ने सीपीएसई को यह अधिकार दे दिया है कि वे वेतन संशोधन को लेकर अपने कर्मचारियों के साथ बातचीत कर निर्णय लें।"
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि आयोग के सदस्यों तथा इसके नियम व शर्तें समय के साथ अधिसूचित की जाएंगी। आयोग की सिफारिशें एक अप्रैल, 2020 तक आएंगी। जेटली ने कहा कि सामान्य तौर पर वित्त आयोग को अपनी सिफारिशें देने में दो साल का समय लगता है।
संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत आयोग को करों से शुद्ध प्राप्तियों को केंद्र और राज्यों के बीच बंटवारे पर सिफारिशें देनी होती हैं। आयोग भारत के समेकित कोष से राज्यों को अनुदान के रूप में दिए जाने वाले राजस्व की निगरानी के सिद्धान्तों के बारे में भी सुझाव देता है। इस बार आयोग को जुलाई, 20017 से लागू हुए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के केंद्र और राज्य सरकारों के संसाधनों पर प्रभाव को भी शामिल करना होगा।
15वें वित्त आयोग के प्रमुख के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा, ‘‘वित्त आयोग के सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या 15वां वित्त आयोग राज्यों को अधिक संसाधन आवंटित करेगा, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने स्थिति का पहले से अंदाजा नहीं लगाना चाहिए। भारत राज्यों का संघ है। संघ को भी बचाना है। 14वें वित्त आयोग का गठन 2 जनवरी, 2013 को किया गया था। इसकी सिफारिशें एक अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक के लिए हैं।