नई दिल्ली: पाकिस्तान में हिन्दू परिवारों पर जुल्म की इंतेहा हो रही है। ऐसे ही कुछ हिंदू परिवार भारत पहुंचे हैं जो पाकिस्तान जाने के नाम से ही कांप उठते हैं। इनका आरोप है कि पाकिस्तान में उनकी बहू-बेटियों को सरेआम किडनैप कर लिया जाता है। जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है और जबरदस्ती उनसे शादी करा दी जाती है।
इनका ये भी आरोप है कि पाकिस्तान में उनके बच्चों को ना तो स्कूलों में पढ़ने दिया जाता है और ना ही हिन्दुओं को नौकरी करने दी जाती है। पाकिस्तान से सताए ऐसे ही 50 हिन्दू परिवार अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत आए हैं और वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नागरिकता देने की अपील कर रहे हैं।
पाकिस्तानी हिंदू वीजिटर वीजा पर भारत आए हैं लेकिन उनमें से कुछ ने दावा किया कि वे पाकिस्तान में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और सीएए लागू होने के बाद वे भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
अकाली दल के नेता और दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सीमा पर धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भागने का दावा करने वाले चार परिवारों को लिवाने के लिए मौजूद थे। सीमा अधिकारियों ने दावा किया कि पिछले महीने की तुलना में पाकिस्तान से आने वाले हिंदूओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।
संशोधित नागरिकता कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के सताए गए गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। सीमा पार कर भारत आने वाले अधिकांश यात्री सिंध और कराची क्षेत्र के थे। उनमें से कुछ के पास सामान था और वे कह रहे थे कि वे भारत में आश्रय ढूंढेंगे।
पहचान छुपाने की शर्त पर एक पाकिस्तानी हिंदू ने कहा कि नए नागरिकता कानून के लागू होने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से अधिकांश अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए राजस्थान आ रहे हैं।
एक महिला ने कहा, “हम पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं महसूस करते। हमारी लड़कियों को हमेशा डर लगा रहता है कि कोई कट्टरपंथी उनका अपहरण कर लेगा और पुलिस मूक दर्शक बनी देखती रह जाएगी। हमारी लड़कियां पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में आजादी से चल भी नहीं सकती हैं।”
बिना अपना नाम बताए दो अन्य महिलाओं ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का अपहरण अब रोज की बात हो गई है और किसी भी परिवार ने कट्टरपंथियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत नहीं की।