लखनऊ: मंगल पर जीवन की संभावना तलाशने की मुहिम में अब भारत के वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। लखनऊ के बीरबल साहनी पुरावनस्पति अनुसंधान संस्थान (बीएसआईपी) जल्द ही नेशनल एरोमैटिक्स एंड स्पेश एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के साथ मिलकर काम करने वाला है।
नासा ने इस काम के लिए बीएसआईपी के साथ-साथ हैदराबाद के सेंट्रल फॉर सेलुलर एंड मॉलीकूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) को भी चयनित किया है।
बीएसआईपी का काम क्रायोस्फियर पर होगा, जिसमें संस्थान के वैज्ञानिक ग्लेशियर के नीचे दबे जीवन पर अध्ययन कर जीवन की संभावनाएं तलाश करेंगे। इसके लिए नासा की मदद से बीएसआईपी में एस्ट्रोबायोलॉजी सेंटर स्थापित किया जाएगा।
बीएसआई के वैज्ञानिक प्रो. सुनील वाजपेयी ने बताया कि नासा के एमेस रिसर्च सेंटर की ओर से लगभग एक माह पहले संयुक्त रूप से शोध करने का प्रस्ताव आया था। नासा चाहता है कि बीएसआईपी के वैज्ञानिक 'लाइफ इन एक्सट्रीम' विषय पर शोध करें। लाइफ इन एक्सट्रीम में नासा के वैज्ञानिक कठिन परिस्थिति में जीवन की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
इसमें वैज्ञानिक देखना चाहते हैं कि क्या 65 डिग्री सेंट्रीग्रेट से अधिक तापमान वाले रेगिस्तान, नमक वाले क्षेत्र और माइनस 60 डिग्री सेंटीग्रेड जहां हमेशा बर्फ जमी रहती है। इन क्षेत्रों में क्या जीवन संभव है। अगर ऐसा है तो मंगल पर भी जीवन संभव हो सकता है। अध्ययन में मंगल के वातावरण से तुलना करके भी देखा जाएगा।
प्रो. वाजपेयी ने बताया कि इनमें बीएसआईपी का काम ग्लेशियर में जीवन की संभावनाएं तलाशना है। इसमें सीसीएमबी से सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि नासा के साथ काम करने के लिए संस्थान के र्चिस एडवाइजरी काउंसिल और गवर्निग बोर्ड से प्रस्ताव पास हो गया है। जल्द ही शोध शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए संस्थान में एस्ट्रोबायोलॉजी सेंटर स्थापित किया जाएगा।