लेह। भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच, सीमा सड़क संगठन (BRO) ने तीसरी सड़क पर काम लगभग खत्म कर दिया है, जिसे निम्मू-पदम-दरचा रोड भी कहा जाता है। यह सड़क सुरक्षा बलों को रणनीतिक संपर्क प्रदान करेगी क्योंकि यह पड़ोसी देशों की सेना की नजरों से दूर होगी। दो अन्य सड़कें- श्रीनगर-कारगिल-लेह रोड और मनाली सरचू-लेह रोड अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब हैं, जिससे दुश्मन के लिए उन पर निगरानी रखना आसान हो जाता है।
इसके अलावा, इस सड़क से काफी समय भी बचेगा क्योंकि पुरानी सड़क के रास्ते मनाली से लेह पहुंचने में लगभग 12-14 घंटे लगते थे, लेकिन नई सड़क के जरिए महज 6-7 घंटे लगेंगे। इस सड़क का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि दूसरी सड़कों के विपरीत यह लगभग पूरे वर्ष खुली रह सकती है, जबकि, अन्य दोनों सड़कें केवल 6-7 महीनों तक खुली रहती है और आमतौर पर नवंबर से छह महीने की अवधि के लिए बंद रहती हैं।
BRO के इंजीनियरों ने कहा कि यह सड़क अब चालू है और कई टन वजन वाले भारी वाहनों के लिए भी तैयार है। 16 BRTF के कमांडर एमके जैन ने बताया, "यह सड़क 30 किलोमीटर के हिस्से को छोड़कर तैयार है। अब सेना इस सड़क का उपयोग कर सकती है। इस सड़क का महत्व यह है कि सेना मनाली से लेह की ओर जाने में लगभग 5-6 घंटे बचा सकती है। इसके अलावा, क्योंकि यह सड़क अन्य देशों की नजर से दूर है, इसलिए सेना की मूवमेंट इसपर बिना किसी जोखिम के हो सकती है। यह सड़क किसी सीमा के करीब नहीं है।''
उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, चूंकि यह सड़क कम ऊंचाई पर है, इसलिए इसे वाहन के आवागमन के लिए लगभग 10-11 महीने के लिए खोला जा सकता है। यह सड़क 258 किलोमीटर लंबी है। हमने डायवर्ट करके कनेक्टिविटी दी है और इसे एक अलग सड़क से जोड़ना है क्योंकि 30 किलोमीटर की दूरी को पूरा करना बाकी है।"
माल और कर्मियों के परिवहन के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मार्ग जोजिला से है, जो द्रास-कारगिल होकर लेह तक जाता है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों द्वारा इस मार्ग को निशाना बनाया गया था और सड़क के किनारे ऊंचाई वाले पहाड़ों से उनके सैनिकों द्वारा लगातार बमबारी और गोलाबारी की गई थी।