नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से अहम मुलाकात की है। पता चला है कि दोनों के बीच राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर बातचीत हुई है। करीब साढ़े चार बजे अमित शाह एलके आडवाणी के घर पहुंचे और 30 मिनट तक दोनों के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत को लेकर बातचीत हुई। 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में साधु संतों के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी सहित करीब 150 लोग शामिल होने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा निकाली थी। 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर में रोक दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना ने आने वाले वर्षों में देश की राजनीति का रुख ही मोड़ कर रख दिया और भाजपा को इसका सबसे अधिक लाभ हुआ।
परमहंस, सिंघल और आडवाणी रहे रामजन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार
नब्बे के दशक में भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति की मुख्यधारा में लाने वाले रामजन्मभूमि आंदोलन की पटकथा रामचंद्र परमहंस ने लिखी तो इसकी नींव रखी अशोक सिंघल ने जबकि लालकृष्ण आडवाणी इसका राजनीतिक चेहरा बने। पेशे से इंजीनियर विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष सिंघल ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के इस आंदोलन की नींव रखी। इससे पहले रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख संत रामचंद्र परमहंस और कुछ छोटे हिंदू समूह इसकी लगातार पैरवी कर रहे थे।
अस्सी के दशक के आखिर में भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी इस आंदोलन का राजनीतिक चेहरा बने जिन्होंने इस आंदोलन को परवान चढ़ाया। सिंघल 1984 में इस विहिप के संयुक्त महासचिव के तौर पर इस आंदोलन से जुड़े और पहली धर्मसंसद बुलाई। उन्होंने राम मंदिर मसले पर संतों का समर्थन जुटाया। वह बाद में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष बने और इसे जन आंदोलन बनाया।
उन्होंने संतों, संघ नेताओं और भाजपा के बीच सेतु का काम किया। उन्होंने 1989 लोकसभा चुनाव में इसे भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई। सिंघल का 2015 में निधन हो गया। आडवाणी की अध्यक्षता में भाजपा ने 1989 लोकसभा चुनाव में इसे घोषणा पत्र में शामिल किया। हिंदू राष्ट्रवाद के जरिए चुनावी समर्थन जुटाने की कवायद में उन्होंने नब्बे के दशक की शुरूआत में राम रथयात्रा निकाली। उसके बाद से यह मसला भाजपा का ‘ट्रंपकार्ड’ बन गया।
With inputs from Bhasha