नई दिल्ली: पाकिस्तान को कथित रूप से तकनीकी सूचना लीक करने के सिलसिले में नागपुर के पास स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस इकाई में कार्यरत एक इंजीनियर को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया। महाराष्ट्र और यूपी एटीएस की टीम ने नागपुर में छापा मारकर यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड पाने वाले डीआरडीओ के वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को गिरफ्तार किया। एटीएस के मुताबिक निशांत के पास से देश की सुरक्षा से जुड़ी कई तरह की खुफिया सूचनाएं मिली हैं।
ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं जिनमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई हिंदुस्तान की सुरक्षा से जुड़े लोगों को बरगलाकर खुफिया जानकारियां हासिल करने की कोशिश करती है। एटीएस की टीम इसी तरह के मामलों की तफ्तीश कर रही थी और इसी दौरान फेसबुक की दो फेक आईडी पर रक्षा से जुड़ी कई जानकारियों का पता चला। इसकी तफ्तीश करते हुए एटीएस निशांत तक पहुंची। एटीएस ने जब निशांत का लैपटॉप खंगाला तो डिफेंस से जुड़ी कई अहम जानकारियां मिलीं। तफ्तीश के दौरान निशांत की फेसबुक आईडी से पाकिस्तान में चैट किए जाने का भी खुलासा हुआ।
निशांत अग्रवाल मौजूदा वक्त में ब्रह्मोस मिसाइल इंटीग्रेशन में तैनात था। निशांत को यंगेस्ट साइंटिस्ट का अवॉर्ड भी मिल चुका है। एटीएस के मुताबिक निशांत अग्रवाल लंबे वक्त से सोशल मीडिया में एक्टिव था। इसी दौरान फेसबुक पर उसे दो आईडी से फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली थी। दो साल से निशांत की दोनों से बात हो रही थी। एटीएस ने जब दोनों आईडी की पड़ताल की तो दोनों फर्जी पाई गईं। इतना ही नहीं दोनो आईडी का इस्तेमाल पाकिस्तान से किया जा रहा था।
उत्तराखंड के रुड़की का रहने वाला निशांत डीआरडीओ में तैनात था और हाल ही में उसकी शादी हुई है। एटीएस को रुड़की में निशांत के घर से भी एक लैपटॉप मिला है। एटीएस ने निशांत के लैपटॉप को कब्जे में ले लिया है। मोबाइल भी खंगाला जा रहा है। इस बात का भी पता किया जा रहा है कि कहीं रक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां पाकिस्तान और आईएसआई को तो नहीं भेजी गई।
निशांत ब्रह्मोस की सीएसआर और आरएनडी ग्रुप का सदस्य भी है। मौजूदा वक्त में ब्रह्मोस नागपुर और पिलानी साइट्स के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी थी। एजेंसियां अब इसी बात की पता लगा रही है कि कहीं ब्रह्मोस से जुड़ी अहम जानकारियां दुश्मन मुल्क को तो नहीं दी गई और ये बात सिर्फ निशांत ही बता सकता है। सूत्रों ने बताया कि निशांत को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जाएगा।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के 'मिलिट्री इन्डस्ट्रीयल कंसोर्टियम' (एनपीओ मशिनोस्त्रोयेनिया) के बीच संयुक्त उद्यम के रूप में किया गया है। भारत और रूस के बीच 12 फरवरी, 1998 को हुए एक अंतर-सरकारी समझौते के माध्यम से यह कंपनी स्थापित की गई थी।