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मुंबई हादसे पर फिल्म सितारों ने दुख जताया, व्यवस्था पर उठाए सवाल

मुंबई में परेल-एलफिंस्टन स्टेशनों को जोड़ने वाले संकरे रेलवे फुटओवर ब्रिज पर मची भगदड़ में हुई मौतों पर फिल्म जगत के सितारों ने शोक व्यक्त है और मुंबई के आधारभूत ढांचे की हालत पर सवाल उठाए हैं।

Reported by: IANS
Published on: September 29, 2017 18:10 IST
mumbai stampede- India TV Hindi
mumbai stampede

मुंबई: मुंबई में परेल-एलफिंस्टन स्टेशनों को जोड़ने वाले संकरे रेलवे फुटओवर ब्रिज पर मची भगदड़ में हुई मौतों पर फिल्म जगत के सितारों ने शोक व्यक्त है और मुंबई के आधारभूत ढांचे की हालत पर सवाल उठाए हैं। फिल्मकार शेखर कपूर उन फिल्मकारों में शामिल हैं जो हैरान हैं कि यह शहर सपनों की नगरी है या बुरे सपनों की। उन्होंने खस्ताहाल आधारभूत ढांचे पर सवाल उठाए हैं जिनकी वजह से शुक्रवार को हुई भगदड़ जैसी घटनाएं हो रही हैं।

मुंबई में शुक्रवार को हुई इस घटना में 22 लोगों की मौत गई और 32 लोग घायल हुए हैं। इस घटना पर मोहनलाल, अनुपम खेर, हंसल मेहता और रवीना टंडन सहित कई फिल्मी हस्तियों ने शोक जताया है।

घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट की अफवाह के बाद यह भगदड़ हुई। अधिकारियों ने हालांकि अचानक बारिश होने से पुल पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ को इसका जिम्मेदार ठहराया है। बारिश से बचने के लिए अधिक संख्या में लोग पुल पर इकट्ठा हो गए थे।

अपने ट्वीट में शेखर कपूर ने कहा, "एलफिंस्टन रोड पर हुई अविश्वसनीय, दुखद और दिल दहला देने वाली घटना। लेकिन, कितनी तेजी से हम इन मानवीय त्रासदियों को राजनीतिक दोषारोपण के खेल में बदल देते हैं। आज के समय में राजनीति को मानव जीवन की कीमत पर मापा जाता है।"

शेखर ने कहा, "बिल्डर लॉबी मुंबई में जगहें जोड़ती गई, बिना किसी आधारभूत ढांचे के। इतने साल में यह शहर एक ऐसे शहर में तब्दील हो गया है, जहां आप सांस नहीं ले सकते, रहने के लिए जगह नहीं ढूंढ सकते और यात्रा के दौरान आपकी जान को खतरा है। सपनों का शहर या बुरे सपनों का।"

हंसल मेहता ने अपने ट्वीट में कहा, "सरकारें स्टेशनों, सड़कों और स्थलों के नामों को बदलने में व्यस्त हैं, लेकिन किसी को शहर की परवाह नहीं और हम बार-बार इनका चुनाव करते हैं। स्थलों के नाम तो बदले हैं लेकिन उनकी स्थिति नहीं। यह शहर खत्म हो रहा है।"

अनिल कपूर ने ट्वीट किया, "भगदड़ के कारण कई लोगों की मौत। काम और यात्रा का सामान्य दिन कितने ही लोगों के लिए त्रासद बन गया। हैरान हूं। विकास?"

ऋचा चड्ढा ने कहा, "भारत में हमें उच्च कराधान के बावजूद कोई फायदा नहीं मिलता। जीवन सस्ता हो गया है, फिर चाहे वो गोरखपुर में बच्चों का हो या एलफिंस्टन में लोगों का। मुंबई में लोकल ट्रेनों में हुई दुर्घटनाओं में आतंकवादी हमलों की तुलना में अधिक लोगों की जानें गई हैं। कौन दोषी है? मैं नकली राष्ट्रवादी होने की तुलना में एक क्रोधित देशभक्त होना पसंद करूंगी..और चुनाव में जीत कर आए प्रतिनिधियों से अधिक मांग करती हूं, जो जनता के सेवक हैं न कि शासक।"

मोहनलाल ने कहा, "एलफिंस्टन में हुई भगदड़ के बारे में जानकर दुख हो रहा है।"

रितेश देशमुख ने कहा, "एलफिंस्टन पुल पर हुई दुर्घटना के बारे में जानकर दुख हुआ। इस दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के साथ मेरा सांत्वना है। मैं घायलों के जल्द ठीक होने की प्रार्थना करता हूं। कमजोर आधारभूत ढांचा प्लस भीड़ भरे पुल व जगहें..फटने की तरफ बढ़ रहे टाइम बम..जागें, जरूरी नहीं कि किसी सीख को हासिल करने के लिए हमें इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़े।"

रवीना टंडन ने कहा, "बेहद त्रासद, इससे बचा जा सकता था, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण।"

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