नई दिल्ली: बोडो समूहों के साथ सोमवार को हुए समझौते की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह समझौता शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह लेकर आएगा और जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों से जुड़े हुए थे वह मुख्यधारा में शामिल होंगे तथा राष्ट्र की प्रगति में योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बोडो लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिणाम होंगे क्योंकि यह प्रमुख पक्षकारों को एक साथ एक प्रारूप में लेकर आएगा और बोडो लोगों की पहुंच विकास केंद्रित पहल तक होगी।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “शांति, सद्भाव और एकजुटता की नई सुबह! आज भारत के लिये एक बेहद खास दिन। बोडो समूहों के साथ आज जिस समझौते पर दस्तखत किये गए उसके बोडो लोगों के लिये परिवर्तनकारी परिणाम होंगे।” उन्होंने कहा कि यह करार कई मायनों में अलग है क्योंकि यह प्रमुख पक्षकारों को एक कार्य ढांचे में साथ लेकर आता है। उन्होंने कहा, “पूर्व में जो लोग सशस्त्र संघर्ष समूहों के साथ जुड़े हुए थे वे अब मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि बोडो समूहों के साथ हुआ समझौता बोडो लोगों की विशिष्ट संस्कृति को और संरक्षित और लोकप्रिय बनाएगा। उन्होंने कहा, “उनकी पहुंच कई विकास परक पहलों तक होगी। बोडो लोग अपनी अकांक्षाओं को पूरा करें, इसमें मदद करने के लिये हम हरसंभव मदद को प्रतिबद्ध हैं।” केंद्र सरकार ने असम के खतरनाक उग्रवादी समूहों में से एक, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ सोमवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये।
लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी के चार गुटों के नेतृत्व, एबीएसयू, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।