वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश को सम्बोधन, आप किस रूप में देखते हैं? कई लोगों ने पीएम की बातों पर अमल करते हुए उनकी बातों को प्रसारित करने में लगे हुए हैं तो बहुत सारे लोग तनक़ीद भी कर रहे हैं। आलोचना करने वाले लोग पीएम के सम्बोधन को इस रूप में देख रहे हैं कि सरकार ने ख़ुद को सरेंडर कर दिया है। मेरे मित्र @Chaman Mishra ने लिखा कि “ऐसे वक़्त में मोदी जी में नेहरू जी समा जाते हैं” तो जवाब में @अंकित द्विवेदी ने लिखा कि ये महाशय (नरेन्द्र मोदी) कभी भी नेहरू नहीं बन सकते हैं। कई लोग कह रहे हैं कि पीएम मोदी हर चीज़ को इवेंट बना देते हैं। कोरोना वायरस से संकट के समय पीएम को इवेंट से बचना चाहिए और ज़रूरी कामों पर ध्यान देना चाहिए। आपका क्या कहना है?
पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में बहुत सारी बातें बताई, लेकिन चर्चा 'जनता कर्फ़्यू' की ही हो रही है। पीएम की बातों के आलोचकों और समर्थकों में वाकयुद्ध हो रहे हैं। इसका नतीजा 22 मार्च को पता चल जाएगा। लेकिन मेरे ख़याल से पीएम मोदी की बातों को जनता कर्फ़्यू और इवेंट के इतर भी देखना चाहिए कि पीएम मोदी आख़िर देश को सम्बोधित करने क्यूँ आएं थे? एक तरफ़ कोरोना वायरस के ख़तरे से गाँव-क़स्बों के लोग अब भी जागरूक नहीं है। वहाँ के लोग इस वायरस को अब भी काफ़ी हलके में ले रहे हैं। दूसरी तरफ़ जान-बूझकर भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। सरकार रोज़-रोज़ बता रही है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए, लेकिन लोग मान नहीं रहे हैं। मुल्कभर के दीगर शहरों में धारा 144 क्यूँ लागू करनी पड़ रही है? शायद इसी वजह से कि लोग मान नहीं रहे हैं। ना जाने ट्रैवल हिस्ट्री क्यूँ छिपा रहे हैं।
हमारे देश में कोरोना वायरस के शिकार मरीज़ों में मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है, सिर्फ़ इसलिए कि लोग लापरवाही बरत रहे हैं। एक नागरिक के रूप में इस संकट की घड़ी में आपको एक आदर्श नागरिक का परिचय देते हुए सरकार ने जो भी उपाय बताएं हैं, उसका पालन करना चाहिए। बताए गए उपायों का पालन करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य भी है। अफ़वाहों पर लोग ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। गुरूवार को देश के कई हिस्सों से ख़बरें आईं कि लोग अपने-अपने घरों में राशन इकट्ठा करने लगे हैं। लोगों में राशन इकट्ठा करने को लेकर बे-वजह अफ़रा-तफ़री मची है। शायद इन्ही सब वजहों से पीएम मोदी को देश को सम्बोधित करना पड़ा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर तमाम कई सारी अंन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने कोरोना वायरस के ख़तरे से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गए क़दमों की तारीफ़ की है। आप थाली या ताली बजाएंगें या नहीं, यह आपकी मर्ज़ी है। लेकिन आप अपनी नैतिक और संवैधानिक ज़िम्मेवारियों को समझते हुए बहुत ज़रूरत हो तब ही किसी से मिलिए और अफ़वाहों को फैलाने से बचिए। आप इस रूप में सोचिए कि आपको ख़ुद को इस वायरस से बचाना है और अगर ऐसे ही सभी लोग सोचने लगेंगे तो कोरोना वायरस को आसानी से मात दिया जा सकता है।
ब्लॉग लेखक आदित्य शुभम इंडिया टीवी में कार्यरत हैं, इस लेख में उनके निजी विचार हैं।