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Blog: पहले ही कई राज्यों में सीमित दायरे में लागू है ‘दो बच्चों वाला कानून’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ‘दो बच्चों’ वाले कानून पर बात करके एक बार फिर इस मुद्दे को हवा दे दी है।

Written by: Mukesh Kapil
Published on: January 19, 2020 10:23 IST
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‘दो बच्चों’ वाले कानून पर भागवत के बयान का ओवैसी ने जवाब दिया है। File Pic

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ‘दो बच्चों’ वाले कानून पर बात करके एक बार फिर इस मुद्दे को हवा दे दी है। भागवत के बयान पर बहस तब और भी तेज हो गई जब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संघ प्रमुख को जवाब देते हुए कहा कि देश की असली समस्या जनसंख्या नहीं बल्कि बेरोजगारी है। बात में दम तो है लेकिन ये सोचने को मजबूर भी करती है कि बेरोज़गारी के पीछे कहीं जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि तो नहीं, क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ सालों में देश की जनसंख्या बढ़ी क्या उतनी संख्या में नौकरियां बढ़ीं?

औवेसी इस मामले को हिंदू-मुस्लिम से जोड़ कर देख कर रहे हैं और इससे पीछे मुस्लिमों की आबादी के बढ़ने पर आरएसएस और बीजेपी के कुछ नेताओं के दिए पिछले कुछ समय के बयान ही हैं। लेकिन अगर इस नियम के बारे में बात की जाए तो अभी भी कितने ही ऐसे राज्य हैं जहां 2 से ज्यादा बच्चे होने पर कुछ सुविधाओं से वंचित रहना पड़ सकता है। पिछले वर्ष अक्टूबर में असम में ये फैसला लिया गया था कि जिनके 2 से ज्यादा बच्चे होंगे उन्हें 2021 के बाद से सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। यही नहीं ट्रैक्टर देने, आवास उपलब्ध कराने और अन्य ऐसी लाभ वाली सरकारी योजनाओं के लिए भी यह द्विसंतान नीति लागू होगी।

ठीक इसी तरह तेलंगाना, ओडिशा, गुजरात, उत्तराखंड, आंध्र और कर्नाटक में भी इसी तरह दो बच्चों से ज्यादा का नियम लागू है हालांकि फिलहाल ये नियम सिर्फ पंचायत, नगर निगम और जिला परिषद चुनाव की उम्मीद्वारी को लेकर ही लगाया गया है। कुछ मिलाकर 11 ऐसे राज्य हैं जहां 2 से ज्यादा बच्चे होने पर इस तरह का कानून लागू है और इन राज्यों में से राजस्थान में स्थानीय चुनाव के साथ ही सरकारी नौकरी पर भी ये नियम लागू है और महाराष्ट्र में सरकारी नौकरी पर ही ये कानून लागू है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का ये कहना है कि इस कानून पर कोई भी अंतिम फैसला सरकार को ही करना है। सरकार पहले ही जनसंख्या से जुड़े सीएए, एनसीआर और एनपीआर ला चुकी है, ऐसे में ‘दो बच्चे’ कानून को लेकर सरकार की क्या नीति रहेगी इसे लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी जरूर होगी, लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता कि सरकार कहीं ना कहीं इस योजना पर भी अंदर खाते मंथन जरूर कर सकती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के अपने हैं।

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