अयोध्या राम मंदिर मामले पर एक तरफ सुप्रीम कोर्ट हर रोज सुनवाई कर रहा है वहीं जयपुर राजघराने के दावे ने सबको सन्न कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में ये सवाल पूछा गया कि क्या श्री राम का कोई वंशज भारत या कहीं किसी जगह पर है या नहीं। इस सवाल के आने के बाद जयपुर राजघराने की राजकुमारी व भाजपा से राजसमंद सांसद दिया कुमारी ने ट्वीट करते हुए ये बताया कि जयपुर राजघराना एक मात्र श्री राम के 309वीं वंशज है।
इस नक्शे के बारे मे राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व वरिष्ठ इतिहासकार ने पूरी जांच व शोध कर लिखा- कहा जाता है कि जयपुर राजघराने के राजा महाराजा जय सिंह ने जयसिंह पुरा को बसाया। जहां-जहां मुगलों ने आतंक मचाया उस जगह जय सिंह जयसिंह पुरा बसाया और वो जगह खुद खरीदली। अयोध्या को महज 5 रुपए मे खरीदा गया। औरगंजेब जो कि 1707 मे मर गया उसके बाद 1717 मे इस जमीन को पूरी तरह से औरंगजेब से खरीद लिया गया और 1725 तक जिस स्थान पर पहले से राम मंदिर बना हुआ था उसे दोबारा से तैयार किया गया।
प्रोफेसर आर नाथ ने अपने शोध व तैयार किये दस्तावेज मे साफ लिखा कि राम मंदिर तो पहले से बना हुआ था उस जमीन से मस्जिद का कोई लेना देना था हीनहीं, मस्जिद महज मुगलों द्दारा बदला हुआ स्वरुप था। प्रोफेसर आर नाथ का कहना है कि राज परिवार के पास उनके स्वामित्व व रामजन्म स्थान से जुड़े हुए अयोध्या के बड़ी संख्या मे पट्टे, परवान, चक-नमस-चिठ्ठियां व अन्य दस्तावेज मौजूद है। राजघराने के पास वो तमाम दस्तावेज है जिसके आधार पर राजघराने की तरफ से प्रोफेसर आर नाथ ने हाईकोर्ट मे व भाजपा के वरिष्ठ मंत्री अरुण जेठली को भेजे गए पत्र मे सूचित किया गया है कि ये जमीन राज घराने की है।
जयपुर राजघराना इस बात का दावा करता है कि वो श्री राम के वंशज है। जयपुर राजघराने के पास पौराणिक काल के पत्रावली मौजूद है जिसमें शुरुआत यानि उत्पत्ति विष्णु ब्रम्हा से शुरु होकर राजा दशरथ फिर श्री राम फिर कुश के बाद से महाराजा जयसिह, भवानी सिंह से लेकर पद्मनाभ तक का जिक्र है कि शुरुआत से अभी तक कौन-कौन श्री राम का वंशज रहा है। जयपुर राजघराना कच्छवाहा वश के शासक है। कहा जाता है कच्छवाहा वंश की उत्पत्ति श्री राम के बड़े बेटे कुश से शुरु हुई और उसके बाद से ही जो पीढ़ी आगे बढ़ी है वो बतौर श्री राम के वंशज के रुप मे पहचान में आए।