फतेहाबाद: हरियाणा के भाजपा नेता और पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दर्शाते हुए रविवार को सत्तारूढ़ पार्टी का साथ छोड़ दिया। दौलतपुरिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल छोड़कर भाजपा का दामन थामा था।
'वापस लिए जाएं कानून'
उन्होंने आज अपने गांव दौलतपुर में आयोजित पंचायत में अपने फैसले की घोषणा की। उन्होंने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि तीनों कृषि कानून किसान-विरोधी हैं, जिन्हें तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "आज किसान भाइयों की दशा देखकर मन बहुत दुखी क्यूँकि ऐसा नहीं हो सकता की दादा रोए पोते को दर्द ना हो।
बलवान सिंह का फेसबुक पोस्ट
उन्होंने फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा, "अन्नदाता के साथ हो रहा ये व्यवहार कते ही मंज़ूर नहीं। इसी कड़ी में आज मेरे गाँव द्वारा पंचायत बुलायी गयी, जिसमें मुझे आदेश दिया गया कि मैं भाजपा छोड़दूँ। गाँव राम का आदेश सर्वोपरी होता है, इसलिए मैं आज भाजपा छोड़कर किसान भाइयों ओर मेरे गाँव के साथ खड़ा हूँ और प्रण लेता हूँ कि किसान भाइयों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलूँगा।"
वह कानून कौनसे हैं, जिनका विरोध हो रहा है?
गौरतलब है कि किसान बीते करीब दो महीनों से भी ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर इन कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। जिन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 हैं।
क्या है किसानों का डर?
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा। किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाएगी।