Friday, November 22, 2024
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मुस्लिम बहुल स्कूलों में अलग भोजन कक्ष बनाने के निर्देश पर विवाद, भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 70 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक छात्रों वाले सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन के वास्ते भोजन कक्षों के निर्माण का निर्देश देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में सांप्रदायिक विभाजन करने का आरोप लगाया।

Reported by: Bhasha
Published on: June 28, 2019 18:42 IST
mamata- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) मुस्लिम बहुल स्कूलों में अलग भोजन कक्ष बनाने के निर्देश पर विवाद, भाजपा ने ममता सरकार को घेरा 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 70 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक छात्रों वाले सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन के वास्ते भोजन कक्षों के निर्माण का निर्देश देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में सांप्रदायिक विभाजन करने का आरोप लगाया।

तृणमूल के वरिष्ठ नेता और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री ग्यासुद्दीन मुल्ला ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और यह कहते हुये इस फैसले का बचाव किया कि इससे सभी छात्रों को फायदा होगा।  भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कूच बिहार जिले में 70 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक छात्र वाले सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन के वास्ते भोजन कक्षों के निर्माण का निर्देश देने के लिए राज्य सरकार की निंदा की है।

उन्होंने सवाल खड़ा किया कि क्या इस कदम के पीछे कोई ‘‘नापाक मकसद’’ है।

घोष ने अपने ट्विटर हैंडल पर परिपत्र की एक प्रति अपलोड करते हुए लिखा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार ने एक परिपत्र जारी किया है जिसके तहत उसने स्कूल प्रशासन को निर्देश दिये हैं कि जिन विद्यालयों में 70 प्रतिशत या उससे अधिक छात्र मुस्लिम समुदाय के हैं, उनके लिए एक अलग भोजन कक्ष बनाने के साथ ही बैठने की व्यवस्था की जाए।’’ 

इस संबंध में किसी भी सरकारी अधिकारी से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

उन्होंने पूछा, ‘‘धर्म के आधार पर छात्रों के बीच यह भेदभाव क्यों? क्या इस भेदभाव वाले कदम के पीछे कोई बदनीयती छुपी है? एक और साजिश?’’

इस मुद्दे पर पलटवार करते हुए, सत्तारूढ़ टीएमसी ने शुरू में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हवाले से एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि यह एक पुराना परिपत्र है जिसे पहले ही वापस ले लिया गया है, लेकिन बाद में कहा गया कि वे एक नया स्पष्टीकरण जारी करेंगे।

मंत्री गियासुद्दीन मुल्ला ने यहां कहा, ‘‘हमारा विभाग सभी छात्रों के समग्र विकास के लिए अल्पसंख्यक बहुल सामान्य संस्थानों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए काम कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मध्याह्न भोजन के लिए बनने वाले भोजन कक्ष से सभी छात्रों को फायदा होगा, न कि केवल मुसलमानों को। धनराशि स्वीकृत हो गई है इसलिए हमने ऐसे स्कूलों की सूची मांगी है।’’

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने आदेश पर राज्य सरकार की आलोचना की और कहा कि सिर्फ धर्म के आधार पर छात्रों को अलग नहीं किया जा सकता। मकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘छात्रों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यदि भोजन कक्ष बनाया जा रहा है तो यह सभी के लिए होना चाहिए। हम इस तरह के कदम की निंदा करते हैं।’’

घोष ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार केवल राज्य में मुसलमानों के विकास के लिए काम करने में रुचि रखती है। उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल सरकार केवल अपने वोट बैंक को सुरक्षित करने के लिए, अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काम करने में रुचि रखती है, हिंदू छात्रों ने क्या गलत किया है कि वे भोजन कक्ष की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते।’’ 

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