नई दिल्ली। दो केंद्र शासित प्रदेशों दमन तथा दीव और दादरा एवं नगर हवेली का विलय कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रावधान वाले एक विधेयक को लोकसभा में बुधवार को पास कर दिया। अगर यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो जाता है और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है तो देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या मौजूदा 9 से घटकर 8 रह जाएगी। मंगलवार को निचले सदन में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने दादरा और नगर हवेली एवं दमन तथा दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक 2019 पेश किया था।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की नीति के तहत दोनों संघ राज्य क्षेत्रों की कम जनसंख्या और सीमित भौगोलिक क्षेत्र पर विचार करते हुए दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव संघ राज्य क्षेत्रों का एक संघ राज्य क्षेत्र में विलय करने का निश्चय किया गया और इसलिये यह विधेयक लाया गया है।
फिलहाल देश में कुल 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं, हाल में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नए केंद्र शासित प्रदेश बने हैं, और इनके अलावा दादर और नगर हवेली, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, दिल्ली, पॉण्डिचेरी, अंडमान नीकोबार तथा लक्ष्यद्वीप हैं।
बुधवार को विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गोवा, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली 1954 तक पुर्तगाली शासक सालाजार के अधिपत्य में रहे। तब तक उस समय की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद बाबा साहब पुरंदरे, सुधीर फड़के और मेजर प्रभाकर कुलकर्णी जैसे 25 से 30 साल के युवाओं ने आंदोलन चलाया और अपनी जान की बाजी लगाकर दादरा और नगर हवेली को आजाद कराया। उन्होंने कहा कि जब धन की कमी थी तो संगीतकार फड़के ने पुणे में लता मंगेशकर का एक कार्यक्रम कराया और उससे प्राप्त धन से आजादी का आंदोलन चलाया। शाह ने कहा कि इसके बाद 1961 में सेना ने दमन और दीव तथा को स्वतंत्र कराया। उन्होंने कहा कि इसलिए अकेले पंडित नेहरू को इसका श्रेय नहीं दिया जाना चाहिए।
(With PTI Inputs)