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किसानों के समर्थन में सिंघू बॉर्डर पर आईं ‘शाहीन बाग की दादी’ को वापस भेजा गया

बिलकिस दादी सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए पहुंची थीं। ‘शाहीन बाग की दादी’ के नाम से मशहूर बिलकिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की इच्छा जताई थी। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 01, 2020 20:52 IST
Bilkis Bano, Shaheen Bagh's dadi, stopped from joining farmer's protest- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली पुलिस ने 82 वर्षीय बिलकिस दादी को सिंघू बॉर्डर पहुंचने के तुरंत बाद ही वापस भेज दिया।

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग में सीएए-विरोधी प्रदर्शन का चेहरा बनीं 82 वर्षीय बिलकिस दादी को सिंघू बॉर्डर पहुंचने के तुरंत बाद ही वापस भेज दिया। बिलकिस दादी सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए पहुंची थीं। ‘शाहीन बाग की दादी’ के नाम से मशहूर बिलकिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की इच्छा जताई थी। 

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सिंघू बॉर्डर पर पहुंचते ही उन्हें दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने रोक दिया। पुलिस उपायुक्त (बाह्य उत्तर) गौरव शर्मा ने कहा, “वह एक वरिष्ठ नागरिक हैं और कोविड-19 महामारी के चलते हमने उन्हें सिंघू बॉर्डर पर रोक दिया और उनकी सुरक्षा के लिए वापस जाने का अनुरोध किया।”

उन्होंने कहा, “उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो इसलिए पुलिस के एक दल ने उन्हें दक्षिण पूर्वी दिल्ली में स्थित उनके घर पहुंचा दिया।” राष्ट्रीय राजधानी के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में कई महीनों तक चले प्रदर्शन के दौरान चर्चा में आई बिलकिस (82) को टाइम मैगजीन की 100 सर्वाधिक प्रभावशाली हस्तियों की सूची में स्थान मिला था। 

पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वे दिल्ली और उसके आस-पास डेरा डाले हुए हैं। किसान इन कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

वहीं इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के छठे दिन 30 से अधिक किसान यूनियनों के साथ बहुप्रतीक्षित वार्ता में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

इस वार्ता के दौरान सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की। सरकार के इस प्रस्ताव पर आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली। किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। 

तीन केन्द्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में केन्द्र की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया। सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये। 

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