पटना: मुजफ्फरपुर जिले में हाइपोग्लाइसीमिया के कारण 83 बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मरने वाले बच्चों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है। अधिकारियों ने बताया कि इस महीने अब तक ऐसी 83 मौतें हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि सभी बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हुए हैं, यह ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड शुगर का स्तर बहुत घट जाता है और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चों की उम्र 10 साल से कम थी।
मुजफ्फरपुर के दो सरकारी अस्पतालों- श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में इन 83 बच्चों की मौत हुई है। मुजफ्फरपुर जिला प्रशआसन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक एसकेएमसीएच में शनिवार को चार बच्चों की मौत हो गई। एक जून से 197 बच्चों को एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया जबकि केजरीवाल अस्पताल में 91 बच्चों को भर्ती कराया गया। इन सभी को एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के संदेह में भर्ती कराया गया था लेकिन ज्यादातर हाइपोग्लाइसीमिया के पीड़ित पाए गए। इन दोनों अस्पताल में इलाज करा रहे छह बच्चों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय गृह राज्य मंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद से राज्य के अपने पहले दौरे पर सभी अभिनंदन कार्यक्रम रद्द करते हुए पटना हवाईअड्डे से सीधा मुजफ्फरपुर पहुंचे। उन्होंने बच्चों की मौत पर चिंता जताई और कहा कि पार्टी किसी के भी स्वागत के लिए दो हफ्तों तक किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं करेगी। उन्होंने एसकेएमसीएच का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, “यह हम सभी के लिए अत्यंत दुखदायी समय है। इस अज्ञात बीमारी ने इस साल कई जान ले ली।”
राय ने कहा कि पिछले दो सालों में इससे दो या चार मौतें हुईं। साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकारों ने जरूरी बचाव उपाय किए हैं और अब तक इस बीमारी से प्रभावित 69 बच्चों को इन दो अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नॉर्वे से एक टीम बच्चों की मौत के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए पहुंची है जबकि नमूनों को जांच के लिए पुणे की एक प्रयोगशाला में भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले परिजनों को सलाह दी कि एहतियात के तौर पर वे अपने बच्चों को खाली पेट न सोने दें या खाली पेट लीची न खाने दें।