पटना: बिहार के सीमांचल जिले सहित राज्य के 18 जिले पिछले 10 दिनों से बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं। राहत की बात है कि कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घटने लगा है। बाढ़ से राज्य की 1.38 करोड़ से ज्यादा आबादी प्रभावित है, जबकि मरने वालों की संख्या बढ़कर 304 तक पहुंच गई है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया, "राज्य के 18 जिलों के 178 प्रखंडों की 1.38 करोड़ से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।"
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ़ से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जिस कारण इस वर्ष बाढ़ से मरने वालों की संख्या सोमवार तक 304 तक पहुंच गई है। अररिया में सबसे ज्यादा 71 लोगों की मौत हुई है, जबकि किशनगंज में 11, पूर्णिया में नौ, कटिहार में 26, पूर्वी चंपारण में 19, पश्चिमी चंपारण में 29, दरभंगा में 19, मधुबनी में 22, सीतामढ़ी में 34, शिवहर में चार, सुपौल में 13, मधेपुरा में 15, गोपालगंज में नौ, सहरसा में चार, मुजफ्फरपुर में सात तथा खगड़िया और सारण में छह-छह व्यक्ति की मौत हुई है।
अधिकारियों का कहना है, "बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी से घिरे 7.34 लाख से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में 1,346 राहत शिविर खोले गए हैं, जिसमें करीब 3. 27 लाख से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं। 2,219 सामुदायिक रसोई खोली गई है, जिसमें लोगों को लंगर की तरह खाना खिलाया जा रहा है।"इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां सोमवार को दावा करते हुए कहा कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद की जा रही है।
उन्होंने कहा, "जहां तक वाहन अथवा नाव नहीं पहुंच रहे हैं, वहां हेलीकॉप्टर से खाने का सामान गिराया जा रहा है। जैसे ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी उतरेगा पीड़ितों को महीने भर का राशन (खाने के अनाज) समेत अन्य आवश्यक सामग्री दी जाएगी। क्षतिग्रस्त मकान बनाने और फसल नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सहयोग देगी।" इस बीच, मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत और बचाव कार्य की समीक्षा की। पदाधिकारियों को प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता पहुंचाने तथा राहत व बचाव कार्य में और तेजी करने के निर्देश दिए। उन्होंने बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों को जल्द से जल्द दुरुस्त कराने तथा नाव का परिचालन बढ़ाने और निजी नावों को राहत कार्य में लगाने का भी निर्देश दिया। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "प्रभावित जिलों में लगातार सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है।"