पटना. बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के कई एक्जिट पोल के नतीजों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन की जीत की संभावना जताई गई है। अगर राजद नेता तेजस्वी यादव मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करते हैं, तो वह उस वर्ग में शामिल होने वाले दूसरे नेता होंगे, जिनके परिवार से तीसरा मुख्यमंत्री बनेगा। भारत में 'वंशवाद' की राजनीति को लेकर बहुत बहस हुई है, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां दादा-पिता-पुत्र, पिता-पुत्र और पिता-पुत्री ने अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के रूप में कार्य किया है।
शेख अब्दुल्ला कई बार जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने पिता से विरासत में मिली और वे 1982 से कई बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने भी 2009 से 2015 के बीच जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
अगर विभिन्न एक्जिट पोल की ओर से जताई गई संभावना सही साबित होती है और राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन जीत हासिल कर लेता है तो लालू प्रसाद यादव का परिवार ऐसा दूसरा परिवार बन जाएगा, जिसने तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव और उनकी मां राबड़ी देवी ने 1990 से लेकर 2005 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।
एक छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले लालू प्रसाद 1990 में सत्ता में आए और उन्होंने 1997 तक कुर्सी संभाली। चारा घोटाले में कानूनी मुसीबत में फंसने के बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 1997 से 2005 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। लालू प्रसाद ने 2004 से 2009 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री के रूप में भी काम किया है। इन दिनों वह चारा घोटाले से जुड़े कई मामलों में जेल की सजा काट रहे हैं।
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद, तेजस्वी यादव को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, जनता दल-युनाइटेड (जदयू) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाद में पाला बदल लिया और वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से जा मिले, जिस कारण तेजस्वी को यह पद छोड़ना पड़ा। तेजस्वी यादव से पहले पिता-पुत्र और पिता-पुत्री के कई उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी पारिवारिक राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है।
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने 1989 के बाद से कई मौकों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और उनके पुत्र अखिलेश यादव को भी 2012 से 2017 के बीच राज्य की सत्ता संभालने का अवसर मिला। एक अन्य हाई प्रोफाइल राजनीतिक परिवार भी जम्मू एवं कश्मीर में परिवारवाद की राजनीति का गवाह बना है। यहां मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में भी पंडित रविशंकर शुक्ला और उनके बेटे श्यामा चरण शुक्ला ने भी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। हरियाणा में उपप्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले चौधरी देवीलाल के परिवार का भी इसी तरह का इतिहास रहा है। देवीलाल ने दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और उनके पुत्र ओ.पी. चौटाला ने भी कई अवसरों पर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। अब देवीलाल के पोते दुष्यंत चौटाला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं।
इसी तरह, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संरक्षक शिबू सोरेन खनिज संपन्न पूर्वी भारत के राज्य में एक राजनीतिक परिवार का नेतृत्व कर रहे हैं। शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और अब उनके पुत्र हेमंत सोरेन राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
दूसरी ओर, ओडिशा में बीजू पटनायक ने दो बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जबकि उनके पुत्र नवीन पटनायक पिछले दो दशकों से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा और उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी ने भी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। अविभाजित आंध्र प्रदेश में वाई.एस. राजशेखर रेड्डी 14वें मुख्यमंत्री थे और उनके पुत्र वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी अब विभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
बिहार में 28 अक्टूबर, ती नवंबर और सात नवंबर को तीन चरणों में 243 सीटों के लिए मतदान हुआ था। मतों की गिनती 10 नवंबर को होगी। कई एग्जिट पोल ने बिहार में राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन के लिए प्रचंड जीत की भविष्यवाणी की है और कहा है कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को सत्ता से बाहर कर देंगे, जबकि अन्य कुछ एक्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई गई है।