नई दिल्ली। धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भागकर भारत आए करीब 5,000 भोवी हिंदू 18 जनवरी को यहां संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थन में मार्च करेंगे। समुदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकटेश मौर्य ने सोमवार को यह जानकारी दी। मौर्य ने कहा कि समर्थन मार्च जंतर-मंतर से शुरू होगा और भाजपा मुख्यालय तक जाएगा।
भोवी समुदाय को देश भर में वड्डारा, बोयर और ओडे जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है और वे मुख्य रूप से पत्थर तोड़ने जैसे काम करते हैं। यह समुदाय छह राज्यों- पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आता है। देश के बाकी हिस्सों में, यह अन्य पिछड़ा वर्ग या सबसे अधिक पिछड़ा वर्ग की श्रेणियों में आता है।
मौर्य ने संवाददाताओं से कहा कि विभाजन के बाद करीब 22 लाख लोग पलायन कर चुके हैं और लगभग 2,000 लोग पिछले कुछ वर्षों में पलायन कर आए हैं। उनमें से कई को भारतीय नागरिकता मिल गई है। अब भी हरियाणा में हजारों लोग और दिल्ली में करीब 2,000 लोग हैं जिन्हें अभी तक नागरिकता नहीं मिली है। दिल्ली में वे मुख्य रूप से संजय कॉलोनी में रहते हैं।
उन्होंने कहा कि सीएए से उन्हें फायदा होगा और उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। भोवी समुदाय इस कदम से खुश है। मौर्य ने कहा कि इस समुदाय के कल्याण के लिए सरकार को इस समुदाय के परिवारों को मुफ्त घर और नौकरियां प्रदान करनी चाहिए। पाकिस्तान के पूर्व सांसद 74 वर्षीय दिव्यराम ने वहां की मुसीबतों का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपनी जमीन व जायदाद छोड़कर 2000 में भारत आ गए। वे इस्लाम कबूल करने के लिए किए जा रहे प्रयासों से बचने के लिए भारत आए।
उन्होंने कहा कि तब स्थिति सबसे खराब हो गयी जब उनके एक करीबी रिश्तेदार की बेटी का अपहरण कर लिया गया था और पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। दिव्यराम अब हरियाणा में रहते हैं। मौर्य के अनुसार, भारत में लगभग 3.50 करोड़ भोवी हिंदू हैं। उनमें से अधिकतर दक्षिण भारत में रहते हैं। उत्तर भारत में रहने वाले भोवी ज्यादातर पाकिस्तान से आए शरणार्थी हैं।