पुणे: पुणे के डिप्टी मेयर की अगुआई में तथ्यों का पता लगाने वाली एक समिति ने दावा किया है कि भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी को हुई हिंसा पहले से योजना बनाकर अंजाम दी गई थी और दक्षिणपंथी कार्यकर्ता संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे द्वारा कराई गई थी। डिप्टी-मेयर सिद्धार्थ ढेंडे की अगुआई वाली बहु सदस्यीय समिति ने मंगलवार को इस मामले की जांच कर रही पुणे ग्रामीण पुलिस को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है जबकि कई स्वतंत्र, तथ्यों का पता लगाने वाली समितियां हैं जो अपने स्तर पर हिंसा की जांच कर रही हैं। ऐसी ही एक समिति ढेंडे की अगुआई वाली है। अपनी रिपोर्ट के बारे में ढेंडे ने कहा, ‘‘हमारी समिति के सदस्यों ने उन जगहों का दौरा किया है जहां हिंसा हुई। घटनास्थल के दौरों के साथ हमले ग्रामीणों एवं पुलिसकर्मियों के साक्षात्कार भी किए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्र जांच के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह पहले से योजना बनाकर की गई हिंसा थी। दोषियों ने घटनास्थल पर पहले ही सारे इंतजाम कर लिए थे, वहां पहले से डंडे और पत्थर इकट्ठा किए गए थे।’’ रिपोर्ट में एकबोटे और भिड़े को हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया गया।
ढेंडे ने कहा, ‘‘एकबोटे और भिड़े प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंसा में शामिल थे। उनके साथ कुछ पुलिसकर्मी भी थे जिन्होंने समय रहते कार्रवाई नहीं की।’’ एकबोटे और भिड़े हिंसा में अपनी भूमिका से पहले ही इनकार कर चुके हैं।
एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के मामले में सुनवाई
वरिष्ठ वकील के ना आने से भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी तब तक पांचों एक्टिविस्ट हाउस अरेस्ट रहेंगे। सीजेआइ दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। आज की सुनवाई में कोर्ट को तय करना था कि इन पांच एक्टिविस्ट को नजरबंद रखा जाए या पुलिस हिरासत में भेजा जाए।