नई दिल्ली: नक्सलियों की एक ऐसी साज़िश जिसने सन्न कर दिया एक सूबे की पुलिस और प्रशासन को क्योंकि एक हिंसा से हत्या तक के नापाक इरादों के जिस नेटवर्क का खुलासा हुआ उसमें निशाने पर हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह। इन आशंकाओं ने मंगलवार को एक दो नहीं देश के कई शहरों में हड़कंप मचा दिया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में पुणे की पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर गिरफ़्तारियां कर रही हैं और इसी लिस्ट में कुछ नाम और जुड़ गए हैं।
पुलिस ने दिल्ली में दलित एक्टिविस्ट गौतम नौलखा, फरीदाबाद में सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, हैदराबाद से दलित चिंतक वरवरा राव, ठाणे से एडवोकेट अरुण परेरा और मुंबई से वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया। इसके अलावा मंगलवार सुबह पुणे पुलिस रांची में एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी के भी ठिकानों को खंगालने पहुंची और कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ भी ज़ब्त किए लेकिन एक बड़ी साज़िश और नक्सली कनेक्शन की आशंकाओं के चलते फिलहाल नज़रें इन चेहरों पर आकर टिकी है क्योंकि भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है उनके नक्सलियों से जुड़े होने का शक है।
ठाणे से अरेस्ट अरुण परेरा का नाम इसलिए आया क्योंकि जून में गिरफ़्तार किए गए आरोपियों के पास से नक्सलियों का एक ईमेल मिला था जिसमें अरुण परेरा का ज़िक्र था। अरुण परेरा पर हिंसा भड़काने के लिए फंड जुटाने का आरोप है। दिल्ली से गिरफ्तार गौतम नवलखा को पहले गिरफ़्तार किए गए वकील सुरेंद्र गडलिंग ने एक चिट्ठी लिखी थी। ये चिट्ठी भीमा कोरेगांव हिंसा से ठीक पहले लिखी गयी थी। इसमें गौतम नवलखा को एल्गार परिषद की बैठक में हाजिर रहने को कहा गया था।
फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड पर एक दिन की रोक लगाई है। हाईकोर्ट आज फिर नवलखा की याचिका पर सुनवाई करेगा। फरीदाबाद से गिरफ्तार सुधा भारद्वाज के बारे में पुलिस ने बताया कि जेएनयू में भीमा कोरेगांव को लेकर एक बैठक हुई थी। उस बैठक का आयोजन सुधा भारद्वाज ने ही किया था। सुधा भारद्वाज पर अलग अलग संगठनों और धर्मों के बीच दुश्मनी फैलाने के लिए धारा 153A लगाई गई है। साथ ही हिंसक बयान देने के लिए आईपीसी की धारा 505, 117 औओर 120 लगाई गई है।
वहीं गिरफ़्तारी के बाद सुधा भारद्वाज को भी पुणे नहीं ले जाया गया क्योंकि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी ट्रांजिट रिमांड पर दो दिन की रोक लगा दी लेकिन इससे पहले देर रात तक फरीदाबाद की अदालत में सुनवाई होती रही।
दरअसल मंगलवार सुबह फरीदाबाद के चार्मवुड विलेज सोसाइटी से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एडवोकेट सुधा भारद्वाज को पुणे पुलिस ने हिरासत में लिया था। हिरासत में लेने के बाद सुधा को फरीदाबाद कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड मांगा गया था जिसे सीजीएम कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इसी बीच सुधा भारद्वाज के वकील ने हाईकोर्ट में स्टे की मांग की और फिर हाईकोर्ट ने उन्हें 30 तारीख तक स्टे दे दिया लेकिन जब तक स्टे का ये फैसला आया तब तक सीजेएम कोर्ट सुधा भारद्वाज को पुणे पुलिस को ट्रांजिट रिमांड पर सौंप चुका था।
बाद में देर रात हाईकोर्ट से आदेश आने के बाद पुणे पुलिस ने सुधा को वापस फरीदाबाद में जज अशोक शर्मा के सामने पेश किया जहां उन्होंने देर रात करीब 1:15 बजे सुधा को 30 अगस्त तक फरीदाबाद पुलिस की निगरानी में उनके ही घर पर रखने के आदेश दिए। सुधा भारद्वाज की वकील के मुताबिक अब अगली सुनवाई फिर से हाईकोर्ट में ही होगी।
हैदराबाद से पकड़े गए वरवरा राव, इस मामले में गिरफ़्तार हो चुके कबीर कला मंच के सुधीर धावले के करीबी हैं और पुलिस के मुताबिक़ वरवरा राव युवाओं को रिक्रूट करता था। वरवरा राव का नेटवर्क दस राज्यों में फैला है और नक्सली उसे आदर्श भी मानते हैं। जबकि मुंबई से पकड़े गए वर्णन गोंसाल्विस के पास से कई ऐसे डॉक्यूमेंट्स मिले जिससे उनके नक्सलियों से जुड़े होने का शक है। पहले जिन आरोपियों को पकड़ा गया था उनसे भी वर्णन गोंसाल्विस के करीबी रिश्ते हैं।
सरकार का दावा है कि ये कार्रवाई पुख्ता सबूतों के साथ की गई है लेकिन मामला सिर्फ़ भीमा कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है। पांच राज्यों में रेड और गिरफ्तारियां इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इस हिंसा के तार उस साज़िश तक जुड़े जहां निशाने पर हैं देश के पीएम नरेंद्र मोदी। इसका खुलासा तब हुआ था जब जून 2018 में भीमा कोरेगांव की हिंसा की जांच के दौरान दिल्ली से गिरफ़्तार किए गए रोना विल्सन नाम के शख्स के लैपटॉप से पुलिस को एक चिट्ठी मिली।
इस में चिट्ठी लिखा था, ‘’मोदी 15 राज्यों में बीजेपी को स्थापित करने में सफल हुए हैं। ऐसा रहा तो सभी मोर्चों पर पार्टी के लिए बड़ी दिक्कत हो जाएगी। कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कैडर ने मोदी राज को ख़त्म करने के लिए मजबूत कदम सुझाए हैं। हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं। ये आत्मघाती लगता है और ये भी संभावना है कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि उन्हें रोड शो में टारगेट करना अच्छी रणनीति हो सकती है।“
सरकार का कहना है कि ऐसे नापाक मंसूबे रखने वाले बख्शे नहीं जाएंगे और ना ही ऐसे खतरनाक इरादों में वो कामयाब होंगे। जाहिर है ये कार्रवाई इसलिए हो रही है क्योंकि मामला देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा है। गृहमंत्री की हिफाजत का है और इन्हें ये खतरा उन नक्सलियों से है जो देश में रहकर ही देश की जड़ों को खोखला करने में जुटे हैं।