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Coronavirus के खिलाफ जंग में देशभर में ‘रोल मॉडल’ बनकर उभरा भीलवाड़ा

कोरोना वायरस संक्रमण के अचानक लगभग दो दर्जन मामले सामने आने के कारण देशभर में चर्चा में आया भीलवाड़ा जिला प्रशासन के कड़े नियंत्रणों, सख्त रवैये और समर्पित प्रयासों के चलते अब देशभर में ‘रोल मॉडल’ (आदर्श) के रूप में उभरा है।

Reported by: Bhasha
Published : April 07, 2020 18:55 IST
Coronavirus के खिलाफ जंग में देशभर में ‘रोल मॉडल’ बनकर उभरा भीलवाड़ा
Image Source : PTI Coronavirus के खिलाफ जंग में देशभर में ‘रोल मॉडल’ बनकर उभरा भीलवाड़ा 

जयपुर: कोरोना वायरस संक्रमण के अचानक लगभग दो दर्जन मामले सामने आने के कारण देशभर में चर्चा में आया भीलवाड़ा जिला प्रशासन के कड़े नियंत्रणों, सख्त रवैये और समर्पित प्रयासों के चलते अब देशभर में ‘रोल मॉडल’ (आदर्श) के रूप में उभरा है। प्रशासन ने संक्रमण को और नहीं फैलने देने के लिए पूरे जिले की सीमा सील करने जैसे कई कदम उठाए थे। इसके साथ ही कर्फ्यू का सख्ती से पालन करवाया गया और संक्रमित रोगियों के सम्पर्क में आये लोगों का पता लगाने के लिये जिले की जनसंख्या का गहनता से सर्वेक्षण और स्क्रीनिंग की गयी। यही कारण है कि अब यहां नये मामले बहुत कम आ रहे हैं तथा पुराने रोगी भी ठीक हो गए हैं। 

चिकित्सक के संक्रमित होने के बाद बना कोरोना का हॉट-स्पॉट

भीलवाड़ा शहर में एक निजी अस्पताल के चिकित्सक के संक्रमित होने के बाद यह शहर कोरोना वायरस संक्रमण मामलों का केन्द्र बिन्दु बन गया था। चिकित्सक के संक्रमित होने के बाद जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई थी। जिला प्रशासन की एक स्पष्ट रणनीति और समर्पित प्रयासों के कारण कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रुका तथा 27 संक्रमित रोगियों में से 13 की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी और अब उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि भीलवाड़ा में कोरोना वायरस संक्रमित दो मरीजों की मौत भी हुई थी। जिला कलेक्टर राजेन्द्र भट्ट ने पीटीआई—भाषा को बताया, ‘‘सबसे पहले हमने हमारे जिले को पृथक किया और सभी सीमाओं को यह सुनिश्चित करने के लिये बंद किया कि जिले में कोई प्रवेश नहीं कर पाये और ना ही बाहर जा पाये। इसके साथ ही संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आये लोगों की स्क्रीनिंग आक्रामक तरीक से तुरंत शुरू कर दी गई जिससे यह जिला वायरस संक्रमण रोकथाम का मॉडल बन गया।’’ 

घर-घर जाकर स्क्रीनिंग 
उन्होंने बताया कि बिना किसी देरी के कर्फ्यू लागू करके इस पर कठोरता से अमल किया गया। चिकित्सा दलों का गठन किया गया और उन्हें लक्षण वालें लोगों की घर घर जाकर स्क्रीनिंग करने को कहा गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में घर घर सर्वेक्षण किया और इसमें हर घर को शामिल किया। जिन लोगों में बुखार, कफ के लक्षण थे उन्हें चिह्न्ति करके पृथक रखा गया। आवश्यकतानुसार उनके नमूने लिये गये। ग्रामीण इलाकों में एक बार स्क्रीनिंग की गई है और शहरी इलाकों में तीन बार स्क्रीनिंग की जा चुकी है। जिला कलेक्टर ने बताया कि वायरस संक्रमण के मरीजों की संख्या भीलवाडा शहर में बढ़ रही थी इसलिये शहरी इलाकों में कई बार स्क्रीनिंग की गई जबकि जिले के सभी 1910 गांवों में एक बार स्क्रीनिंग की गई। उन्होंने बताया कि हमने पूरे जिले में 26.5 लाख लोगों को कवर किया। 

कैबिनेट सचिव ने की सराहना
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्थिति पर लगातार निगरानी रखे हुए थे। हमारी हर जरूरत चाहे वो पीपीई अथवा एन—95 मास्क की हो सभी चीजों की आपूर्ति तुरंत करवाई जा रही थी जिससे हमें स्थिति को संभालने में मदद मिली।’’ उन्होंने बताया कि सोमवार तक 3030 जांच के नमूने लिये गये और स्क्रीनिंग के दौरान जिन लोगों में बुखार और कफ के लक्षण पाये गये थे उनके नमूने आगामी 10 दिनों में ले लिये जायेंगे। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय केबिनेट सचिव ने जिला कलेक्टर की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान भीलवाड़ा मॉडल की सराहना की थी। 

पुलिस के समन्वय से युद्ध स्तर पर काम 
जिला पुलिस अधीक्षक हरेन्द्र महावर ने बताया कि जिला पुलिस के समन्वय से युद्ध स्तर पर काम किया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों को उस अस्पताल के आसपास वाली कॉलोनियों के सर्वेक्षण के काम में लगाया गया जहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आये थे। उन्होंने बताया कि जिले में खाद्य और आवश्यक सामान की आपूर्ति को रोके बिना 15 मिनट के अंदर कर्फ्यू कठोरता के साथ लागू कर दिया गया। सीएलजी सदस्यों, समाज के नेताओं और धार्मिक गुरूओं से सम्पर्क करके लोगों से घरों में रहने की अपील की गई। कुछ असामाजिक तत्वों के खिलाफ कानून कार्रवाही भी गई और लगभग 600 वाहनों को जब्त किया गया। कर्फ्यू के दौरान जरूरत मंद लोगों को खाने के पैकेट और राशन सामग्री का वितरण किया गया। 

10 कोरोना वायरस संक्रमित मरीज जिला अस्पताल में भर्ती 
जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुश्ताक खान ने बताया कि पहला काम संक्रमित मरीज के रिश्तेदारों को चिह्न्ति कर उन्हें पृथक करना था। उन्होंने बताया कि इसे युद्ध स्तर पर किया गया और सब चीजें सही समय पर नियंत्रित कर ली गई। 11 संक्रमित मरीज जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था जांच में संक्रमण मुक्त (निगेटिव) होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जिला अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ अरूण गौड ने बताया कि अस्पताल में भर्ती 11 कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को अथक प्रयासों और इलाज के बाद संक्रमण मुक्त होने पर छुट्टी दे दी गई। जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल में भर्ती दो अन्य मरीजों को भी जयपुर से छुट्टी दे दी गई। वर्तमान में हमारे पास 10 कोरोना वायरस संक्रमित मरीज जिला अस्पताल में भर्ती हैं। 

 

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