नई दिल्ली: अनुसूचित जाति एवं जनजाति ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश के कई राज्यों में भड़की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इस हिंसा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने दलित संगठनों के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान हिंसक प्रदर्शनों के बाद सोमवार को 800 दंगा रोधी पुलिसकर्मियों को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भेजा है। दलित संगठन अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून को कथित तौर पर कमजोर किए जाने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मेरठ के लिए रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) की 2 कंपनियां और आगरा तथा हापुड़ के लिए एक-एक कंपनी भेजी गई है। RAF की एक कंपनी में लगभग 100 कर्मी होते हैं। स्थिति से निपटने में राज्य प्रशासन की मदद करने के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर और भोपाल 2-2 कंपनियां भेजी गई हैं। गोलीबारी में एक छात्र नेता के मारे जाने तथा कई अन्य के घायल हो जाने के बाद मुरैना, ग्वालियर और भिंड जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ सहित कई जिलों से हिंसा की खबर है जहां प्रदर्शनकारियों ने 2 सरकारी बसों को आग लगा दी जिससे कई यात्री घायल हो गए। आगरा, हापुड़ और मेरठ में प्रदर्शन हिंसक हो उठा। अनुसूचित जाति/जनजाति कानून के कुछ प्रावधानों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को लेकर दलित संगठन और विपक्ष नाराज हैं। इन संगठनों और पार्टियों का दावा है कि कानून को हल्का किए जाने से पिछड़े समुदाय के खिलाफ भेदभाव तथा अपराधों में और इजाफा होगा।